‘शांति’ विधेयक निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया : कांग्रेस

‘शांति’ विधेयक निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया : कांग्रेस

‘शांति’ विधेयक निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया : कांग्रेस
Modified Date: December 18, 2025 / 05:11 pm IST
Published Date: December 18, 2025 5:11 pm IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी की अनुमति देने संबंधी विधेयक का विरोध करते हुए राज्यसभा में बृहस्पतिवार को कांग्रेस ने कहा कि यह विधेयक केवल निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया है।

उच्च सदन में ‘भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि हम परमाणु क्षमता के मामले में खुद को साबित कर चुके हैं और आज आत्म निर्भर हैं।

उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक केवल निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया है। ‘‘आपने कृषि क्षेत्र में तीन कानून लाए थे जो आपको वापस लेने पड़े था। इस विधेयक का वैसा हश्र नहीं होना चाहिए।’’

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रमेश ने कहा कि सरकार निजी कंपनियों को कहे कि वह खुद 700 मेगावाट का संयंत्र या 220 मेगावाट का संयंत्र लगाएं। ‘‘क्योंकि अगर निजी सेक्टर को लाया जाएगा तो यह ध्यान में रखना होगा कि वे केवल पूंजी लाएंगे, प्रौद्योगिकी नहीं। हमारे वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि वे और उनकी प्रौद्योगिकी सर्वश्रेष्ठ है।’’

उन्होंने स्वदेशी तकनीकों को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा ‘‘सरकार निजी कंपनियों से कहे कि हमारे देश में अगर परमाणु संयंत्र आपको लगाना है तो उन्हें आप हमारी प्रौद्योगिकी के आधार पर, हमारी क्षमता के आधार पर लगाएं।’’

रमेश ने कहा कि बार-बार एसएमआर यानी ‘स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर’ की बात की जा रही है और हमारे यहां तो ऐसे कई रिएक्टर हैं जिनका आकलन किया जाना चाहिए और इनका मानकीकरण किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे परमाणु वैज्ञानिकों ने कहा था कि पहला चरण यूरेनियम, दूसरा प्लूटोनियम थोरियम होगा और तीसरा चरण थोरियम यूरेनियम होगा। पहले चरण में हमें महारत हासिल हो चुकी है। दूसरा चरण थोड़ा ठहरा हुआ है क्योंकि हम फास्ट ब्रीडर रिएक्टर शुरू नहीं कर पाए हैं। लेकिन दुनिया का एक चौथाई थोरियम भंडार हमारे देश में है। हमारे पास यूरेनियम भले ही नहीं है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘यूरेनियम तो हम फ्रांस, कजाखस्तान से आयात करते हैं। लेकिन हमें देखना होगा कि हम थोरियम का इस्तेमाल कैसे करें जिसका हमारे यहां भंडार है। प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदकर ने पिछले चार माह में दो लेख लिखे हैं जिसमें उन्होंने थोरियम के इस्तेमाल के बारे में बताया है। उनका यह मानना है कि समय आ गया है कि थोरियम का इस्तेमाल पहले चरण में भी किया जाए ताकि हम सीधे तीसरे चरण में जाएं।’’

उन्होंने कहा कि हमारा अंतिम मकसद हमारे देश के थोरियम का इस्तेमाल करना है क्योंकि यूरेनियम का तो हम हमेशा आयात करते रहेंगे।

उन्होंने जोर दिया कि ऊर्जा सुरक्षा के लिए हमें यूरेनियम पर नहीं बल्कि थोरियम पर ध्यान देना होगा। ‘‘यह भी जरूरी है कि हमारे देश के विशेषज्ञों के विचार हमें सुनना चाहिए। ’’

रमेश ने सरकार पर इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिन उपलब्धियों को वह अपने कार्यकाल की उपलब्धियां बताती है उनमें से कई तो पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल की हैं।

उन्होंने कहा कि फ्रांस में 70 फीसदी बिजली परमाणु स्रोतों से आती है और पूरे परमाणु क्षेत्र पर सरकार का नियंत्रण है।

रमेश ने भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) को और मजबूत करने की मांग की। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दें लेकिन कई अन्य पहलुओं को भी सोचें।

कांग्रेस सदस्य ने कहा, ‘‘आपके सामने कई तरह की मजबूरियां हैं, लेकिन इस विधेयक को मजबूरी में मत लाइये, और लोगों से इस पर विचार कर सबकी राय लीजिये। अगर हमने अपने सार्वजनिक क्षेत्र को नजर अंदाज किया और उसके स्थान पर निजी सेक्टर को प्रोत्साहन देंगे तो यह हमारे देश के हित में कतई नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि निजी निवेश विकास का इंजन नहीं बन सकता अन्यथा परमाणु वैज्ञानिक होमी भाभा और विशेषज्ञों का विजन खत्म हो जाएगा।

भाषा मनीषा वैभव

वैभव


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