बीएनएस में आईपीसी की धारा 377 के समान प्रावधान को हटाने के खिलाफ याचिका पर मंगलवार को सुनवाई
बीएनएस में आईपीसी की धारा 377 के समान प्रावधान को हटाने के खिलाफ याचिका पर मंगलवार को सुनवाई
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने नए दंड कानून ‘भारतीय न्याय संहिता’ (बीएनएस) में ‘अप्राकृतिक यौनाचार’ और ‘दुराचार’ के अपराध के लिए सजा से संबंधित किसी भी प्रावधान को बाहर करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सोमवार को सहमति जताई।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए याचिका का उल्लेख किया गया। पीठ ने कहा कि इस पर मंगलवार को सुनवाई की जाएगी।
वकील ने कहा कि बीएनएस में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के समतुल्य किसी भी प्रावधान को बाहर किया गया है, जिसके कारण हर व्यक्ति, विशेषकर एलजीबीटीक्यू समुदाय प्रभावित होगा।
आईपीसी की धारा 377 में दो वयस्कों के बीच बिना सहमति के अप्राकृतिक यौनाचार और नाबालिगों के खिलाफ यौन गतिविधियों के मामलों में दंड का प्रावधान है।
आईपीसी की जगह बीएनएस एक जुलाई, 2024 से प्रभाव में आया है।
भाषा वैभव नरेश
नरेश

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