नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) पड़ोसी देशों से हथियार खरीदने और अपने सदस्यों को हथियार प्रशिक्षण देने की कोशिश कर रहा था। एजेंसी के एक विशेष लोक अभियोजक ने यह जानकारी दी।
ये दलीलें शनिवार को एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रशांत शर्मा के समक्ष पेश की गईं। शर्मा पीएफआई के 20 आरोपी नेताओं के खिलाफ आरोपों पर दलीलें सुन रहे थे।
मीडियाकर्मियों को बंद कमरे में हुई अदालती कार्यवाही को कवर करने की अनुमति नहीं थी।
एनआईए के विशेष लोक अभियोजक राहुल त्यागी ने शनिवार को अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अदालत के समक्ष यह तर्क दिया कि पीएफआई नेता पड़ोसी देशों से हथियार खरीदने और अपने सदस्यों को हथियार प्रशिक्षण देने की कोशिश कर रहे थे।
पीएफआई नेताओं पर लगे आरोपों पर त्यागी ने कहा, ‘‘वे अपने कार्यकर्ताओं को आईएसआईएस से रणनीति सीखने के लिए सीरिया भेज रहे थे ताकि इन्हें भारत में लागू किया जा सके। उन्होंने विशेष दस्ते बनाये थे जो भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) नेताओं की सूची तैयार रखते थे और उन पर नजर रखते थे।”
अभियोजक ने आरोप लगाया कि इस समूह का गठन युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के मकसद से किया गया था।
त्यागी ने कहा, ‘‘पीएफआई और उसके नेतृत्व के खिलाफ मामला यह है कि उन्होंने भारत में खिलाफत स्थापित करने और शरिया कानून लागू करने के उद्देश्य से मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए संगठन का गठन किया।’’
अभियोजक ने कहा, ‘‘वे शिविर आयोजित कर रहे थे, उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रहे थे, उन्हें कट्टरपंथी बना रहे थे और भारत के खिलाफ ‘जिहाद’ छेड़ने के लिए उन्हें प्रशिक्षित कर रहे थे, जिसके लिए वे धन इकट्ठा कर रहे थे।’’
अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 23 दिसंबर की तारीख तय की है।
भाषा
देवेंद्र संतोष
संतोष