प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा-रोधी अवसंरचना निर्माण के लिए पांच प्राथमिकताओं का जिक्र किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा-रोधी अवसंरचना निर्माण के लिए पांच प्राथमिकताओं का जिक्र किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा-रोधी अवसंरचना निर्माण के लिए पांच प्राथमिकताओं का जिक्र किया
Modified Date: June 7, 2025 / 05:23 pm IST
Published Date: June 7, 2025 5:23 pm IST

नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अपनी पांच प्रमुख वैश्विक प्राथमिकताओं को रेखांकित किया जिसमें कुशल कार्यबल, सर्वोत्तम प्रथाओं का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक वैश्विक डिजिटल संग्रह और अभिनव वित्तपोषण शामिल है।

आपदा रोधी बुनियादी ढांचे पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना और तालमेल बिठाना एक अन्य अहम पहलू है।

आपदा रोधी बुनियादी ढांचे से आशय ऐसी लचीली अंवसरचना से है जो आपदा का सामना करने में सक्षम हो।

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उन्होंने कहा कि भारत ने 29 देशों को लाभान्वित करने वाली सुनामी-चेतावनी प्रणाली स्थापित की है और इसने छोटे विकासशील द्वीपीय देशों को बड़े महासागर वाले देशों के रूप में मान्यता देता है और उनकी कमजोरियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

यूरोप में पहली बार आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के लिए मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को धन्यवाद दिया और आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के लिए उन्हें शुभकामनाएं दीं।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन का विषय ‘तटीय क्षेत्रों के लिए एक लचीले भविष्य को आकार देना’ है। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रति तटीय क्षेत्रों और द्वीपों की नाजुक स्थिति को रेखांकित किया।

उन्होंने भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल, कैरिबियन सागर में तूफान बेरिल, दक्षिण पूर्व एशिया में तूफान यागी, संयुक्त राज्य अमेरिका में तूफान हेलेन, फिलीपीन में तूफान उसागी और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चक्रवात चिडो सहित हाल की आपदाओं का हवाला दिया।

मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इन आपदाओं ने जान-माल को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे लचीले बुनियादी ढांचे और सक्रिय आपदा प्रबंधन की आवश्यकता को बल मिलता है।

वर्ष 1999 के ‘सुपर-साइक्लोन’ और 2004 की सुनामी सहित विनाशकारी आपदाओं के प्रति भारत के पिछले अनुभवों को याद करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे देश ने लचीलेपन के साथ अनुकूलन और पुनर्निर्माण किया, संवेदनशील क्षेत्रों में चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया और 29 देशों को लाभान्वित करने वाली सुनामी-चेतावनी प्रणाली की स्थापना में योगदान दिया।

मोदी ने कहा कि आपदा के प्रति लचीलेपन के लिए अभिनव वित्तपोषण की आवश्यकता होती है। उन्होंने विकासशील देशों को आवश्यक धन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई योग्य कार्यक्रम बनाने का आह्वान किया।

उन्होंने पूर्व चेतावनी प्रणाली और समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला तथा समय पर निर्णय लेने और अंतिम व्यक्ति तक प्रभावी संचार सुविधा की पहुंच में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने विकास में लचीलेपन की आवश्यकता पर बल देते हुए चुनौती के समय अडिग रहने वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने एक मजबूत और आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वैश्विक प्रयास का आह्वान किया।

भाषा संतोष माधव

माधव


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