प्रधानमंत्री मोदी ने यूनुस के साथ मुलाकात के दौरान बांग्लादेश में कट्टरपंथ का मुद्दा उठाया : जयशंकर
प्रधानमंत्री मोदी ने यूनुस के साथ मुलाकात के दौरान बांग्लादेश में कट्टरपंथ का मुद्दा उठाया : जयशंकर
नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के बीच हुई बैठक में भारत ने पड़ोसी देश को, उसके यहां अल्पसंख्यकों पर हमलों और कट्टरपंथ को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया था।
जयशंकर ने बांग्लादेश में नए सिरे से चुनाव कराने के लिए भारत के प्रयास को रेखांकित करते हुए कहा कि लोकतंत्र के लिए चुनाव आवश्यक हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘हमसे अधिक कोई अन्य देश बांग्लादेश का बेहतर शुभचिंतक नहीं हो सकता।’’
बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना सरकार का पतन हो गया था। उस घटना के बाद मोदी और यूनुस की बैंकाक में पहली बार मुलाकात हुई थी।
जयशंकर ने न्यूज 18 राइजिंग भारत शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि बैठक में हमारी ओर से जो मुख्य संदेश सामने आया, वह यह है कि ऐतिहासिक कारणों से बांग्लादेश के साथ हमारा रिश्ता बहुत ही अनोखा है। यह मूल रूप से लोगों से लोगों का जुड़ाव है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश के लिए हमसे अधिक कोई अन्य देश बेहतर की कामना नहीं करता; यह हमारे डीएनए में है। एक शुभचिंतक और मित्र के रूप में, मैं आशा करता हूं कि वे सही रास्ते पर चलें और सही काम करें।’’
जयशंकर ने कहा कि भारतीय पक्ष बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति पर अपनी चिंताओं को साझा करने में खुला रूख रखता है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और यूनुस की मुलाकात से जुड़े सवाल पर कहा, ‘‘हम कट्टरपंथी प्रवृत्तियों से चिंतित हैं। हमें अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर चिंता है। मुझे लगता है कि हम उन चिंताओं को साझा करने के बारे में बहुत स्पष्ट हैं।’’
जयशंकर ने बांग्लादेश में नए सिरे से चुनाव कराने के भारत के प्रयास को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘एक ऐसे देश के रूप में जिसकी लोकतांत्रिक परंपरा रही है, लोकतंत्रों में चुनाव की आवश्यकता होती है। इसी तरह जनादेश दिए जाते हैं और इसी तरह जनादेश का नवीनीकरण किया जाता है। इसलिए, हम आशा करते हैं कि वे इसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगे।’’
यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों को रोकने में विफल रहने के बाद भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में गिरावट आई है।
पिछले सप्ताह, भारतीय पक्ष मोदी और यूनुस के बीच बैठक के बांग्लादेशी पक्ष से नाखुश नजर आया।
यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने शनिवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि मुख्य सलाहकार ने मोदी के समक्ष हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर बांग्लादेश द्वारा किये गए अनुरोध का मुद्दा उठाया और दूसरी तरफ से ‘‘प्रतिक्रिया नकारात्मक नहीं थी’’।
मामले से परिचित लोगों ने शनिवार को इस पक्ष को ‘‘शरारतपूर्ण और राजनीति से प्रेरित’’ बताया, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों पर हमलों और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के अनुरोध के संदर्भ में।
उन्होंने यूनुस और पूर्ववर्ती बांग्लादेश सरकार के साथ संबंधों के बारे में भारतीय प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की ‘प्रकृति’ को ‘गलत’ बताया।
नई दिल्ली ने पिछले साल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा हसीना के प्रत्यर्पण के लिए किए गए अनुरोध पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हसीना पिछले साल अगस्त में ढाका छोड़ने के बाद से नई दिल्ली में रह रही हैं।
शुक्रवार को बैंकॉक में हुई बैठक में मोदी ने यूनुस को बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में भारत की गहरी चिंताओं से अवगत कराया।
बैठक के बारे में भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि माहौल खराब करने वाली बयानबाजी से बचना चाहिए।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदुओं सहित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं को रेखांकित किया और उम्मीद जताई कि बांग्लादेश सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
भाषा धीरज मनीषा
मनीषा

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