चेन्नईः POCSO Act is Not for Punish Teenagers नाबालिग से बलात्कार के एक मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट को लेकर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि पोक्सो एक्ट 2012 किसी प्यार में पड़े टीनएजर्स को सजा देने के लिए नहीं है। हाईकोर्ट ने नाबालिग पर लगे पॉक्सो एक्ट को खारिज कर दिया है। बता दें कि पीड़िता के पिता ने नाबालिग के खिलाफ याचिका दायर की थी।
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POCSO Act is Not for Punish Teenagers कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरोपी नाबालिग के हित में फैसला सुनाते हुए कहा है कि ‘पोक्सो एक्ट क्यों लाया गया था हमें यह भूलना नहीं चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसके जरिए हम उन टीनएजर्स को सजा देने के लिए करें जो कि प्यार में पड़कर ऐसे कामों को कर बैठते हैं जो कि एक्ट में सजा के योग्य हैं।’ जस्टिस एम नागाप्रसन्ना ने कहा, ‘हर मामला जो कि सेक्सुअल एक्टिविटी से जुड़ा है पोक्सो एक्ट के अंतर्गत नहीं आ सकता है। लेकिन हां कुछ ऐसे केस भी होते हैं जैसे हमारे सामने आया है जहां किशोर एक्ट के परिणामों को जाने बिना उन्हें कर बैठते हैं।’
पोक्सो एक्ट का फुलफॉर्म प्रोटेक्शन ऑफ चिल्डरन अगेन्स्ट सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट 2012 है। यह एक्ट दरअसल लड़का और लड़की को समान अधिकार प्रदान करता है और किसी भी तरह की सेक्सुअल एक्टिविटी, सेक्सुअल असॉल्ट या हैरेसमेंट और पोर्नाेग्राफी जैसे अपराधों से बचाता है। इस कानून को 2012 में लागू किया गया था. इस में अलग-अलग अपराधों के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान है।