किसी दोषी के खिलाफ कार्यवाही करने की शक्ति का प्रयोग सावधानी से किया जाना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

किसी दोषी के खिलाफ कार्यवाही करने की शक्ति का प्रयोग सावधानी से किया जाना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - July 16, 2025 / 10:22 PM IST,
    Updated On - July 16, 2025 / 10:22 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अपराध के किसी मामले में दोषी प्रतीत होने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति का प्रयोग ‘‘बहुत ही सावधानी’’ के साथ किया जाना चाहिए, न कि उसे प्रताड़ित करने के माध्यम के रूप में।

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ पूर्ववर्ती सीआरपीसी की धारा 319 से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी।

धारा 319 किसी अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति से संबंधित है।

पीठ ने कहा कि यह प्रावधान न्यायालय को किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही करने का अधिकार देता है, भले ही उसे आरोपी के रूप में उद्धृत न किया गया हो।

इसने कहा, ‘‘इसमें यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि शक्ति का प्रयोग बहुत सावधानी के साथ किया जाना चाहिए, न कि लापरवाही के साथ – क्योंकि इसका उद्देश्य केवल न्याय को आगे बढ़ाना है, न कि किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करने या कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का माध्यम बनना है।’’

उच्चतम न्यायालय का यह फैसला इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पिछले वर्ष जुलाई में पारित एक आदेश के खिलाफ अपील पर आया है।

उच्च न्यायालय ने 2017 के हत्या के एक मामले में सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ कौशाम्बी की एक निचली अदालत द्वारा जारी समन को रद्द कर दिया।

पीठ ने उन सिद्धांतों को भी गिनाया जिनका धारा 319 के तहत शक्ति का प्रयोग करते समय निचली अदालत को पालन करना चाहिए।

इसने कहा, ‘‘यह प्रावधान कानून के उस क्षेत्र का एक पहलू है जो पीड़ितों और समाज को सुरक्षा प्रदान करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि अपराध करने वाले कानून की गिरफ्त से बच न सकें।’’

पीठ ने कहा कि अदालत का यह कर्तव्य है कि वह दोषियों को बिना सजा दिए न छोड़ दे।

पीठ ने पक्षकारों को 28 अगस्त को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया और 18 महीने के भीतर मुकदमा पूरा करने का आदेश दिया।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव