पूर्व नियोजित था भाजपा कार्यकर्ताओं का हमला: टिकैत

पूर्व नियोजित था भाजपा कार्यकर्ताओं का हमला: टिकैत

पूर्व नियोजित था भाजपा कार्यकर्ताओं का हमला: टिकैत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:20 pm IST
Published Date: April 3, 2021 2:45 pm IST

अलीगढ़ (उप्र), तीन अप्रैल (भाषा) केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि अलवर में उन पर किया गया हमला, भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्व नियोजित था। साथ ही कहा कि इसे एक चुनौती और आंख खोलने वाली घटना की तरह याद रखना चाहिए।

पढ़ें- टीकाकरण के लिए अब स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर…

शनिवार को भीमलखेड़ा गांव में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, ”आने वाले समय में किसानों के सामने चुनौतियां ही चुनौतियां हैं, लेकिन हम पर होने वाले हमले अस्तित्व की लड़ाई में हमारे संघर्ष और संकल्प को मजबूत कर रहे हैं।” महापंचायत के बाद पत्रकारों से बातचीत में टिकैत ने कहा, ” हम मानसिक रूप से ऐसी घटनाओं के लिए तैयार हैं।”

 ⁠

पढ़ें- bijapur naxal attack: जवानों के हथियार लूट कर ले गए…

राजस्थान के अलवर जिले में शुक्रवार को किसान नेता टिकैत के काफिले पर पथराव किया गया था। इस मामले में पुलिस ने एक छात्र नेता को हिरासत में लिया था। टिकैत ने आरोपी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े होने और हमले के पीछे भाजपा का हाथ होने का आरोप लगाया।

पढ़ें- bijapur naxal attack: रमन सिंह ने कहा एक तरफ कोरोना…

महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने किसानों को कम से कम इस साल के अंत तक अपना आंदोलन जारी रखने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने का आह्वान करते हुए संघर्ष में जीत का दावा किया। उन्होंने किसानों से सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने का भी अनुरोध किया। किसान आंदोलन शुरू होने के बाद पहली बार अलीगढ़ में महापंचायत कर रहे टिकैत ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सत्ताधारी खेमों में कारपोरेट घरानों की मजबूत पकड़ है।

पढ़ें- bijapur naxal attack: बीजापुर में फिर IED ब्लास्ट, …

कृषि कानूनों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इन कानूनों के तहत किसानों को नियमों और शर्तों से बाध्य किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि इन कानूनों से किसानों के लिए अपनी पसंद के बीजों का उपयोग करना असंभव हो जाएगा और किसानों को इस हद तक हताश होना पड़ेगा कि वे अपनी जमीन को कॉरपोरेट को बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

 


लेखक के बारे में