सुप्रीम निर्णय vs 14 सवाल.. संविधान बनेगा किसका ढाल? आखिर राजभवनों में लंबित बिलों का क्या होगा? देखिए ये वीडियो |

सुप्रीम निर्णय vs 14 सवाल.. संविधान बनेगा किसका ढाल? आखिर राजभवनों में लंबित बिलों का क्या होगा? देखिए ये वीडियो

सुप्रीम निर्णय vs 14 सवाल.. संविधान बनेगा किसका ढाल? President asked 14 questions to Supreme Court, new politics begins

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Modified Date: May 15, 2025 / 11:42 PM IST
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Published Date: May 15, 2025 11:21 pm IST

रायपुरः राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकार और कर्तव्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर एक और टर्न आया है। राष्ट्रपति ने ना सिर्फ कोर्ट के निर्णय पर आपत्ति जताई है बल्कि 14 सवाल दागकर इस पर जवाब मांगा है। देश में संविधान बनाम सुप्रीम निर्णय की स्थिति बिरले ही बनती है, लेकिन अब जबकि ऐसा हो रहा है..जब देश की सर्वोच्च अदालत और स्वयं राष्ट्रपति आमने-सामने हैं तो फिर मामला और भी पेंचीदा हो गया है। खासकर उन राज्यों में जहां राजभवन में राज्य सरकारों के पास बिल लंबित पड़े हैं और छत्तीसगढ़ भी ऐसे ही राज्यों में शामिल हैं, जहां पास बिल राज्यपाल के पास लंबित है, जिसपर पक्ष-विपक्ष में कई बार बहस का मोर्चा खुला रहा है।

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बीते कई दिनों से देश की कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच का संवाद अधिकारों के संघर्ष और तनाव के तौर पर सामने आया है। पहले देश की सुप्रीम अदालत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों के फैसलों की समयसीमा तय करने की बात कही जिस पर अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रेसिडेंट और गवर्नर के लिए डेडलाइन तय करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि, संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। राष्ट्रपति मुर्मू ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे जिसमें कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगा है। दरअसल, ये विवाद शुरू हुआ तमिलनाडु गवर्नर ने राज्य सरकार के पास बिलों को रोककर रखा है। राज्य सरकार और राज्यपाल का ये विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को आदेश दिया कि राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं, वो इसे अनिश्चित काल के लिए रोक कर नहीं रख सकते। इसी फैसले में 11 अप्रैल को सुप्रीम अदालत ने आगे कहा कि किसी भी पास बिल जिसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया है, राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा। इस फैसले पर 17 अप्रैल को उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले ने ये कहकर बहस गर्मा दी कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं..साथ ही तंज कसा कि अनुच्छेद 142 के अधिकारों की आड़ में, जज सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे हैं, फिर 18 अप्रैल को- राज्यसभा सांसद और जाने-माने वकील कपिल सिब्बल ने टिप्पणी ने माहौल और गर्मा दिया, सिब्बल ने कहा कि भारत में राष्ट्रपति नाममात्र के मुखिया हैं, जब कार्यपालिका काम नहीं करेगी तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा। अब राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछकर जवाब मांगा है।

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इधऱ, गंभीर मुद्दे पर कांग्रेस ने भी याद दिलाया है कि कैसे उनकी सरकार के वक्त के सदन से सर्वसम्मति से पास विधेयक, अभी तक राजभवन में अटके हुए हैंजिस पर बीजेपी ने करारा पलटवार किया है। जाहिर है ये मुद्दा बेहद गंभीर है, बहस बड़ी है लेकिन सवाल ये है कि संविधान में हर किसी के अधिकार और शक्तियों का विस्तृत और स्पष्ट उल्लेख है। ऐसे में राष्ट्रपति-राज्यपाल और न्याय पालिका के बीच, संघर्ष किसी भी तरह देश के उचित नहीं है। सवाल ये है कि इस पर सियासत कौन कर रहा है?