पहलगाम हमले पर जनता का आक्रोश जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के अंत की शुरुआत : मुख्यमंत्री उमर
पहलगाम हमले पर जनता का आक्रोश जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के अंत की शुरुआत : मुख्यमंत्री उमर
जम्मू, 28 अप्रैल (भाषा) मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले को लेकर जम्मू-कश्मीर में फैले जनाक्रोश ने उम्मीद की किरण जगाई है कि लोगों की मदद से आतंकवाद का जल्द ही खात्मा हो सकता है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) सरकार आतंकवाद के खिलाफ लोगों के अभियान को मजबूत करने के लिए काम करेगी।
अब्दुल्ला ने केंद्र से अपील करते हुए कहा कि ऐसे कदम न उठाएं, जिससे जनता अलग-थलग पड़ जाए।
बैसरन में 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
हमले में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान अब्दुल्ला ने इस घटना को सबसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि घटना के खिलाफ सड़कों पर जनाक्रोश उम्मीद की किरण जगाता है कि उनकी मदद से आतंकवाद का जल्द ही खात्मा हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए सदन में एक प्रस्ताव पर चर्चा में कहा, “उग्रवाद, आतंक या आतंकवाद तभी खत्म होगा जब लोग हमारे साथ होंगे। आतंकी हमले के खिलाफ लोगों के आक्रोश को देखते हुए, अगर हम उचित कदम उठाते हैं तो यह इसके खत्म होने की शुरुआत है।”
उन्होंने कहा, “हमें ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे लोग अलग-थलग पड़ जाएं। हम बंदूक से आतंकवादी को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अगर लोग हमारे साथ हैं तो हम आतंकवाद को खत्म कर सकते हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है जब लोग उस दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।”
अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीनगर की जामिया मस्जिद और अन्य मस्जिदों में पहली बार शुक्रवार की नमाज से पहले दो मिनट का मौन रखा गया।
अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने जामिया मस्जिद में नमाज का नेतृत्व किया।
जामिया मस्जिद को 1989 में आतंकवाद के उभार के बाद से कश्मीर में अलगाववाद का मुख्यालय माना जाता है।
मुख्यमंत्री ने हमले में मारे गए नागरिकों का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक पूरे देश को इस जघन्य हमले के कारण नुकसान उठाना पड़ा है।
उन्होंने अपने 25 मिनट से अधिक के भाषण में कहा, “यह जम्मू-कश्मीर में अपनी तरह का पहला हमला नहीं था, अमरनाथ यात्रा शिविर, डोडा के गांवों, कश्मीरी पंडितों और सिख बस्तियों पर गोलीबारी जैसी कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं लेकिन नागरिकों के खिलाफ बैसरन की घटना 21 साल के अंतराल के बाद हुई है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारा मानना था कि इस तरह के हमले इतिहास बन चुके हैं और इनका हमारे वर्तमान या भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है।”
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से बैसरन हमले ने पुरानी यादें ताजा कर दी हैं और यह एहसास भी जगा दिया है कि अगला हमला कहां हो सकता है।
अब्दुल्ला ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) पर निशाना साधा।
टीआरएफ ने कथित जनसांख्यिकीय परिवर्तन का हवाला देते हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी।
उमर ने कहा, “जो लोग हमारी बेहतरी के लिए काम करने का दावा करते हैं…क्या हमने इसके लिए कहा था? क्या हमने 26 निर्दोष लोगों को ताबूत में घर भेजने के लिए कहा था? क्या इस हमले के लिए हमारी सहमति थी?”
अब्दुल्ला ने कहा, “हमने कठुआ से लेकर कुपवाड़ा तक 36 वर्षों में पहली बार लोगों को अपने घरों से बाहर निकलते देखा, ताकि वे हत्याओं के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा सकें। शायद ही कोई ऐसी जगह हो, जहां लोगों ने इसकी निंदा न की हो।”
भाषा जितेंद्र अविनाश
अविनाश

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