पंजाब ने ग्रामीण विकास निधि जारी करने के अनुरोध वाली याचिका पर शीघ्र सुनवायी पर दिया जोर
पंजाब ने ग्रामीण विकास निधि जारी करने के अनुरोध वाली याचिका पर शीघ्र सुनवायी पर दिया जोर
नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) पंजाब सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में अपनी उस अंतरिम याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया जिसमें उसने ग्रामीण विकास निधि के मद में दावा किए गए बकाये के रूप में केंद्र से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि तत्काल जारी करने का अनुरोध किया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह की दलीलों पर गौर किया कि आगामी फसल कटाई मौसम और राज्य में मंडियों की खराब स्थिति को ध्यान में रखते हुए याचिका पर सुनवाई किए जाने की जरूरत है।
विधि अधिकारी ने कहा कि फसल कटाई का मौसम शुरू हो रहा है और पंजाब में ‘मंडियों’ का बुनियादी ढांचा खस्ताहाल स्थिति में है, जहां कृषि उपज बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की याचिका आज की वाद सूची में थी, लेकिन इस पर सुनवाई होने की संभावना नहीं है, क्योंकि पीठ एक अन्य आंशिक रूप से सुने गए मामले की सुनवाई कर रही है। उन्होंने सीजेआई से इसे भविष्य की तारीखों में प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
सीजेआई ने महाधिवक्ता से कहा कि ‘‘अन्य मामलों की सुनवाई के बाद हम इसे उच्च प्राथमिकता पर रखेंगे।’’
अट्ठारह सितंबर को पीठ ने कहा था कि वह पंजाब सरकार की अंतरिम याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी। शीर्ष अदालत ने 30 अगस्त को भी भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार को आश्वासन दिया था कि याचिका पर दो सितंबर को सुनवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने केंद्र के खिलाफ लंबित वाद में एक अंतरिम आवेदन दायर किया है और अंतरिम उपाय के तौर पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक तत्काल जारी किये जाने का अनुरोध किया है।
पंजाब सरकार ने ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) जारी न करने और केंद्र द्वारा बाजार शुल्क का एक हिस्सा रोके रखने का आरोप लगाते हुए 2023 में शीर्ष अदालत का रुख किया था। उसने दावा किया था कि केंद्र पर पंजाब का 4,200 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है।
याचिका में कहा गया है कि आरडीएफ और बाजार शुल्क खरीद प्रक्रिया के प्रभावी कामकाज को सक्षम बनाता है।
इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार के पास खाद्यान्नों की खरीद के लिए बाजार शुल्क और आरडीएफ निर्धारित करने का विशेषाधिकार है क्योंकि इसे संविधान के तहत मान्यता दी गई है।
भाषा अमित माधव
माधव

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