‘क्वाड’ का एजेंडा इसे सबसे व्यापक अंतर-सरकारी ढांचे में से एक बनाता है: जयशंकर |

‘क्वाड’ का एजेंडा इसे सबसे व्यापक अंतर-सरकारी ढांचे में से एक बनाता है: जयशंकर

‘क्वाड’ का एजेंडा इसे सबसे व्यापक अंतर-सरकारी ढांचे में से एक बनाता है: जयशंकर

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Modified Date: December 6, 2024 / 08:32 PM IST
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Published Date: December 6, 2024 8:32 pm IST

(फोटो सहित)

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि ‘क्वाड’ आगे बढ़ रहा है और इसका एजेंडा इसे ‘‘सबसे व्यापक’’ अंतर-सरकारी ढांचे में से एक बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आगामी सरकार के ‘क्वाड’ के लिए समर्थन कम करने की संभावना नहीं है।

भारत-जापान फोरम में यहां एक संवाद सत्र में जयशंकर ने याद किया कि कैसे अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के पहले कार्यकाल ने ‘क्वाड’ को आकार देने और इसे आगे बढ़ाने में सहयोग दिया था।

चार देशों के समूह ‘क्वाड’ में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर ‘क्वाड’ क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समावेशी विकास सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘2017 में ट्रंप प्रशासन का पहला वर्ष था जब इसकी (क्वाड) उप-मंत्री स्तर पर बातचीत की शुरुआत हुई। फिर 2019 में ट्रंप प्रशासन के दौरान उप-मंत्री स्तर से आगे बढ़ते हुए विदेश मंत्री स्तर की बातचीत हुई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास यह उम्मीद करने के लिए हर कारण है कि वे कहेंगे कि इसने अच्छी तरह काम किया है, इसलिए, हमें इसे जारी रखना चाहिए।’’ भारत 2025 में ‘क्वाड’ के अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है।

जयशंकर ने कहा कि ‘क्वाड’ आगे बढ़ रहा है और इसका एजेंडा इसे ‘‘आज के समय में सबसे व्यापक अंतर-सरकारी समन्वय में से एक बनाता है।’’

पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद चीन के साथ भारत के संबंधों पर जयशंकर ने सैनिकों को पीछे हटाने के हालिया समझौते के कार्यान्वयन का उल्लेख किया और कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के संबंध में चुनौतियां बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘चीन के साथ हमारा पूरा संबंध इस तथ्य पर आधारित था कि सीमा क्षेत्र शांतिपूर्ण और स्थिर रहेंगे और हमने यह सुनिश्चित करने के लिए समझौते किए थे। 2020 में, चीन ने सीमा क्षेत्रों में बहुत अधिक सुरक्षा बल लाने का विकल्प चुना और जाहिर है, हमने जवाबी तैनाती के साथ जवाब दिया।’’

सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इसमें करीब साढ़े चार साल लग गए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने अब भी चुनौतियां बाकी हैं। हमें अभी भी तनाव कम करना है, क्योंकि हमने नजदीकी इलाकों से सेनाओं को हटाया है।’’

जयशंकर ने कहा कि अब ध्यान तनाव कम करने पर होगा क्योंकि क्षेत्र में अब भी बहुत बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें चीन के साथ बैठकर चर्चा करनी होगी कि हम अपने संबंधों को कैसे फिर से आगे बढ़ा सकते हैं और यह एक ऐसी कवायद है जिसे अभी शुरू किया जाना है।’’

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया।

भाषा आशीष अविनाश

अविनाश

 

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