राहुल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार, कांग्रेस बोली - कानूनी, राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगे |

राहुल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार, कांग्रेस बोली – कानूनी, राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगे

राहुल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार, कांग्रेस बोली - कानूनी, राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगे

:   Modified Date:  March 24, 2023 / 09:41 PM IST, Published Date : March 24, 2023/9:41 pm IST

(फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के 24 घंटे के भीतर शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने पार्टी के नेता व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार देने की घोषणा की। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर “बदले की राजनीति” का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने इस कार्रवाई के खिलाफ राजनीतिक व कानूनी तौर पर लड़ने का संकल्प जताया है और कहा है कि वह जन आंदोलन के जरिए इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएगी।

भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि लोकसभा की सदस्यता से राहुल गांधी की बर्खास्तगी कानून के मुताबिक हुई है।

उनकी अयोग्यता की घोषणा करते हुए लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी की। अधिसूचना में कहा गया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सदस्य (राहुल गांधी) अपनी दोषसिद्धि अर्थात 23 मार्च, 2023 से सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाते हैं।

अगर 52 वर्षीय राहुल गांधी की दोषसिद्धि और सजा पर ऊपरी अदालत से स्थगन आदेश नहीं मिलता है, तो वह अगले आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि सूरत की एक अदालत ने ‘‘मोदी उपनाम’’ संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें बृहस्पतिवार को दो साल के कारावास की सजा सुनाई।

अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा होती है और ऊपरी अदालत द्वारा इस सजा पर रोक लगा दी जाती है, तो जनप्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम के तहत वह अयोग्यता से बच सकता है।

मानहानि के मामले में गांधी को राहत के लिए पहले अपीलीय अदालत का रुख करना होगा और अपने पक्ष में न्यायिक आदेश हासिल करने के बाद में सांसद के रूप में अपनी स्थिति की बहाली के लिए उन्हें लोकसभा सचिवालय जाना होगा।

राहुल गांधी ने खुद को अयोग्य ठहराए जाने के बाद ट्वीट किया, ‘‘मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं, हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।’’

कांग्रेस ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ है और वह मोदी सरकार के इस ‘सुनियोजित कदम’ के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी।

हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने फैसले और अयोग्यता के परिणामों के बारे में खुलकर बात नहीं की, लेकिन पार्टी के कई नेताओं को लगता है कि इससे राहुल गांधी और पार्टी को राजनीतिक रूप से मदद मिलेगी।

कांग्रेस से मतभेद के बावजूद राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति और समाजवादी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल जैसे विपक्षी दलों के रुख में बदलाव दिखा है, जिन्होंने अन्य कई विपक्षी दलों के साथ गांधी के प्रति समर्थन जताया है।

गांधी चौथी बार लोकसभा सदस्य बने थे। वह पहली बार 2004 में अमेठी से सांसद चुने गए थे। उन्होंने दो और कार्यकाल के लिए अमेठी का प्रतिनिधित्व किया। 2019 में वह अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी से हार गए, हालांकि वायनाड सीट से उनकी जीत हुई।

अयोग्य ठहराए जाने की अधिसूचना जारी होने से कुछ घंटे पहले राहुल गांधी लोकसभा की कार्यवाही में शामिल हुए और संसद भवन में पार्टी सांसदों की बैठक में भाग लिया।

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 2013 में जन प्रतिनिधित्व कानून के एक प्रावधान को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त करने के आदेश को निष्प्रभावी बनाने के लिए प्रयास किया था। इसमें कहा गया है कि दो साल या इससे अधिक की सजा होने की स्थिति में सजा सुनाए जाने वाले दिन से वह व्यक्ति सजा की मियाद और उसके बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता।

राहुल गांधी ने संप्रग सरकार के इस कदम का विरोध किया था और संवाददाता सम्मेलन में अध्यादेश की प्रति फाड़ दी थी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी सरकार को सबसे ज़्यादा डर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से लगता है। लोकतंत्र की हत्या करने लिए उन्होंने गांधी की संसद सदस्यता रद्द की है। वे सच बोलने वालों का मुंह बंद करना चाहते हैं।’’

खरगे ने कहा, ‘‘देशवासी यह तानाशाही नहीं सहेंगे। लोकतंत्र की हिफ़ाज़त के लिए हम जेल तक जाएंगे। हम जेपीसी की मांग करते रहेंगे।’’

कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘राहुल गांधी को अयोग्य ठहराया जाना ताबूत में आखिरी कील है। यह लोकतंत्र के लिए काला दिन है। यह मोदी सरकार का सुनियोजित कदम है, ताकि संसद में राहुल गांधी की आवाज को बंद कर दिया जाए। हम इससे कानूनी और राजनीतिक रूप से निपटेंगे। सच की जीत होगी।’’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘हम इस लड़ाई को कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ेंगे। हम धमकी के आगे नहीं झुकेंगे और खामोश नहीं होंगे। प्रधानमंत्री से जुड़े अडाणी महाघोटाले में जेपीसी बनाने के बजाय राहुल गांधी को अयोग्य ठहरा दिया गया। भारतीय लोकतंत्र ओम शांति।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि गांधी परिवार की रगों में जो खून दौड़ता है, उसकी एक ख़ासियत है कि यह परिवार कभी नहीं झुका और कभी नहीं झुकेगा।

भाजपा ने राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त किए जाने के फैसले को अदालत के आदेश का परिणाम बताया और इसे उचित ठहराते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्हें उनके ‘‘कृत्य’’ की सजा मिली है।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘‘गाली देने में और आलोचना करने में अंतर होता है। राहुल गांधी गाली दे रहे थे। वह कोई लोकतांत्रिक बहस नहीं कर रहे थे। ओबीसी समाज को गाली देने का काम कर रहे थे… उन्हें इस कृत्य की सजा मिली है।’’

यादव ने कहा कि राहुल गांधी के मामले में पूरी प्रक्रियाओं का पालन किया गया और उन्हें अवसर भी दिया गया, ताकि वह अपना पक्ष रख सकें।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब निर्णय आया, तो कांग्रेस के नेता न्यायपालिका पर सवाल उठा रहे हैं…अपशब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह फैसला कानूनी है और आरोप लगाया कि कांग्रेस न्यायपालिका पर सवाल उठा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक कानूनी फैसला है और राजनीतिक दल द्वारा लिया गया फैसला नहीं है। यह एक अदालत द्वारा लिया गया फैसला है। कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि वे किसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।’’

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नेहरू-गांधी परिवार अधिकारवादी और सामंती मानसिकता से ग्रसित है, उसे पता होना चाहिए कि कानून सबके लिए समान है।

विपक्ष के कई प्रमुख नेताओं ने राहुल गांधी के प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराया जाना प्रतिशोध की राजनीति है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता भाजपा के मुख्य निशाने पर हैं।

भाषा सुरभि दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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