रेल हादसे के चलते रेल मंत्री का इस्तीफा, 144 यात्रियों की मौत के बाद देशभर में मच गया था कोहराम, जानिए कौन थे तत्कालीन रेल मंत्री

रेल हादसे के चलते रेल मंत्री का इस्तीफा, 144 यात्रियों की मौत के बाद देशभर में मच गया था कोहराम! Railway Minister Resign

रेल हादसे के चलते रेल मंत्री का इस्तीफा, 144 यात्रियों की मौत के बाद देशभर में मच गया था कोहराम, जानिए कौन थे तत्कालीन रेल मंत्री

Bahanaga train accident

Modified Date: June 3, 2023 / 02:46 pm IST
Published Date: June 3, 2023 2:46 pm IST

बालासोर: Railway Minister Resign ओडिशा के बालासोर में कल यानि शुक्रवार शाम करीब 7 बजे हुए दर्दनाक रेल हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। हादसे को लेकर पूरे देश में हड़कंप मच गया है। हादसे में 260 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 900 से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घायलों को उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनका उपचार जारी है। अधिकारियों के मुताबिक हावड़ा-बेंगलुरू ट्रेन के कई कोच पटरी से उतर गए और दूसरे ट्रैक पर शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए। इसके बाद कोरोमंडल ट्रेन के कोच भी बेपटरी हो गये और बगल से गुजर रही मालगाड़ी से टकरा गए।

Read More: सीएम के चेहरे को लेकर कांग्रेस में कलह, विधायक ने अपने ही ‘नेता प्रतिपक्ष’ पर बोला तीखा हमला, कहा वरिष्ठ होने के नाते…

Railway Minister Resign इस हादसे को लेकर पीएम मोदी ने हाई लेवल बैठक की है और अब खुद ही मौके पर रवाना हो चुके हैं। हादसे को लेकर पूरे देश में शोक का महौल बना हुआ है और कुछ राज्यों ने राजकीय शोक का भी ऐलान किया है। वहीं, दूसरी ओर हादसे को लेकर अब केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। अश्विनी वैष्णव से इस्तीफा मांगने वालों में कुछ राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ट्रेन हादसे के बारे में बताएंगे, जिस हादसे के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन रेलमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अपना इस्तीफा दे दिया था।

 ⁠

Read More: Bahanaga train accident : शुक्रवार को ही क्यों होते हैं बड़े रेल हादसे? भारतीय रेलवे के लिए फिर Black Friday साबित हुआ आज का दिन

दरअसल यह घटना 23 नवंबर 1956 की सुबह 4.30 बजे की है। जब थूथुकुडी एक्सप्रेस ट्रेन, अरियालुर रेलवे स्टेशन से दो मील की दूरी पर मरुदैयारु नदी पर पुराने पुल के खंभे से होकर गुजर रही थी। उस वक्त नदी में तेज उफान था और झमाझम बारिश भी हो रही थी। नदी का पानी पुल की पटरियों को लगभग छू रहा था। तभी सुबह करीब 4.30 बजे के करीब अचानक से पुराने खंभों पर बना पुल लगातार बारिश और उफान की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसी दौरान ट्रेन का स्टीम इंजन और सात डिब्बे नदी में गिर गये। गौरतलब है कि थूथुकुडी एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से ठीक आधे घंटे पहले, एक दूसरी ट्रेन पुल पार कर चुकी थी।

Read More: मनीष सिसोदिया की पत्नी की तबीयत बिगड़ी, जेल से बाहर आने के बाद भी नहीं हो पाई मुलाकात

तकरीबन 67 साल पहले हुए इस हादसे में 144 लोगों की मौत हुई थी और सैंकड़ों घायल हुए थे। यही नहीं, 200 से ज्यादा यात्री लापता हो गये थे। पानी के तेज बहाव के कारण उनके शव तक नहीं मिले। इस हादसे से उस वक्त के रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री बहुत आहत हुए थे। उन्होंने इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंप दिया। आपको बता दें कि जवाहरलाल नेहरु के प्रधानमंत्री कार्यकाल में लाल बहादुर शास्त्री 13 मई 1952 से लेकर 7 दिसम्बर 1956 तक रेलमंत्री के रुप में कार्यरत रहे। 26 नवंबर 1956 को लाल बहादुर शास्त्री के इस्तीफे को लेकर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रपति से इस्तीफा स्वीकार करने का निवेदन किया। इसके बाद लोकसभा में जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि वह इस्तीफा इसलिए स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि इस हादसे में किसी भी तरह से लाल बहादुर शास्त्री जिम्मेदार है। बल्कि इसलिए कर रहे है कि यह आने वाले भविष्य में एक नजीर बने।

Read  More: सीएम साहब को आया गुस्सा, भरी सभा के सामने फेंक दी माइक, सिर्फ इतनी सी बात पर गुस्से से लाल हुए अशोक गहलोत

बता दें कि थूथुकुडी एक्सप्रेस हादसे से पहले 2 सितंबर 1956 में हैदराबाद के नजदीक महबूबनगर में पुल टूटने से रेल हादसा हो गया था। जिसमें 112 लोगों की मौत हुई थी। जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। तब प्रधानमंत्री नेहरु ने इसे अस्वीकार कर दिया। लेकिन, तीन महीनों बाद हुए अरियालुर रेल हादसे के बाद उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। इस हादसे के तकरीबन एक साल बाद 6 अगस्त 1957 में तत्कालीन डिप्टी रेल मिनिस्टर शाह नवाज खान ने लोकसभा में बताया कि मद्रास के त्रिची के पास अरियालुर ट्रेन दुर्घटना के बाद तकरीबन 9.34 लाख रुपए की सहायता राशि दी जा चुकी है। जो उस दौर में एक बड़ी राशि मानी जा सकती हैं।

Read More: रायपुर: ट्रेन हादसे के मृतकों को PCC ने दी श्रद्धांजलि, राजीव भवन में मौजूद रही प्रभारी कुमारी शैलजा

भारतीय राजनीति के इतिहास में लाल बहादुर शास्त्री के बाद नीतीश कुमार दूसरे ऐसे रेलमंत्री थे। जिन्होंने रेल हादसे के बाद नैतिकता के आधार पर गलती मानकर अपने पद से इस्तीफा दिया था। भारत के 28वें रेल मंत्री नीतीश कुमार ने (19 मार्च 1998 से 5 अगस्त 1999 तक) असम में अगस्त 1999 में गैसल ट्रेन दुर्घटना के लिए नैतिक आधार पर अपना पद छोड़ दिया था। इस हादसे में 290 लोगों की जान गई थी। उस समय अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री थे।

 

 

 

 

 

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक


लेखक के बारे में

"दीपक दिल्लीवार, एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 10 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने राजनीति, खेल, ऑटो, मनोरंजन टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें राजनीति, खेल, मनोरंजगन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी काफी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदार रिपोर्ट पेश की है। दीपक दिल्लीवार, पिछले 5 साल से IBC24 न्यूज पोर्टल पर लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें अपनी डेडिकेशन और अलर्टनेस के लिए जाना जाता है। इसी की वजह से वो पाठकों के लिए विश्वसनीय जानकारी के सोर्स बने हुए हैं। वो, निष्पक्ष, एनालिसिस बेस्ड और मजेदार समीक्षा देते हैं, जिससे इनकी फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। काम के इतर बात करें, तो दीपक दिल्लीवार को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है। वो हेल्दी वर्क लाइफ बैलेंस करने में यकीन रखते हैं।"