राजस्थान: कई हितधारकों ने कोचिंग संस्थान संबंधी विधेयक के नए संस्करण को कमजोर बताया
राजस्थान: कई हितधारकों ने कोचिंग संस्थान संबंधी विधेयक के नए संस्करण को कमजोर बताया
जयपुर, 2 सितंबर (भाषा) राजस्थान सरकार ने विभिन्न पक्षों के विरोध के बाद कोचिंग सेंटरों को विनियमित करने के लिए अपने विधेयक का संशोधित संस्करण पेश किया है, जिसमें प्रस्तावित दंड को कम करने समेत विभिन्न प्रावधान किए गए हैं।
हालांकि, विधायकों और हितधारकों का कहना है कि नए मसौदा में उनके द्वारा उठाए गए कई विवादास्पद मुद्दों को अनदेखा कर दिया गया है।
राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक, 2025 को पहली बार मार्च में विधानसभा में पेश किया गया था। इसके तहत 50 से अधिक छात्रों वाले सभी केंद्रों को विधेयक के दायरे में लाने का प्रस्ताव था। संशोधित संस्करण में यह सीमा बढ़ाकर 100 छात्र कर दी गई है।
नए संस्करण में जुर्माने में भी बदलाव किया गया है। अब उल्लंघन करने पर पहली बार 50,000 रुपये और दूसरी बार दो लाख रुपये का जुर्माना लगेगा, और इसके बाद उल्लंघन करने पर पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। मूल मसौदे में दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान था।
इन बदलावों के बावजूद विधेयक की आलोचना की जा रही है। भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों के विधायकों ने तर्क दिया था कि मसौदे में केंद्र द्वारा 2024 में जारी किए गए प्रमुख दिशानिर्देशों की अनदेखी की गई है। उन दिशानिर्देशों में कोचिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 16 वर्ष निर्धारित करना भी शामिल है।
अन्य लोगों का कहना है कि विधेयक में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया और इससे ‘इंस्पेक्टर राज’ को बढ़ावा मिल सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो 60,000 करोड़ रुपये का कोचिंग उद्योग राजस्थान, खासकर देश के कोचिंग केंद्र कोटा से बाहर जा सकता है।
इस साल मार्च में हुई बहस के बाद, विधेयक को समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने विधेयक को लेकर एक बार फिर विरोध जताते हुए कहा, “सरकार कोचिंग माफिया से घिरी हुई है। वे विधेयक नहीं लाना चाहते, बल्कि अदालती निर्देशों से बंधे हैं।’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘इस संशोधित विधेयक का भी कोई औचित्य नहीं है। पिछले साल में विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों की एक बाढ़ सी आ गई है… इसके बावजूद, सरकार केवल कोचिंग सेंटरों को फायदा पहुंचाना चाहती है और उसे छात्रों या उनके अभिभावकों की कतई परवाह नहीं है।’
भाजपा नेताओं ने पहले भी चेतावनी दी थी कि यह कानून राज्य में रोजगार और शिक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है।
पूर्व मंत्री अनीता भदेल ने कहा था कि कोचिंग सेंटरों से 10 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है और लगभग 50 लाख छात्र शिक्षा हासिल कर रहे हैं। कालीचरण सराफ ने कहा था कि अगर यह विधेयक अपने पुराने स्वरूप में पारित हो जाता तो ‘60,000 करोड़ रुपये का कोचिंग व्यवसाय राजस्थान से बाहर चला जाएगा।’
इस बीच, राजस्थान अभिभावक संघ ने भी संशोधित विधेयक का विरोध किया और इसे ‘अव्यावहारिक’ बताते हुए संशोधन की मांग की।
संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा, ‘यह जरूरी है कि अभिभावकों के सुझावों को विधेयक में शामिल किया जाए। छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सिर्फ अभिभावकों को दोष देकर मामले को ख़त्म कर देना गलत है।’
भाषा पृथ्वी जोहेब
जोहेब

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