राजस्थान: दो व्यक्तियों पर जानलेवा हमला करने वाली ‘कनकटी’ बाघिन बाड़े में लौटी

राजस्थान: दो व्यक्तियों पर जानलेवा हमला करने वाली ‘कनकटी’ बाघिन बाड़े में लौटी

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  • Publish Date - December 10, 2025 / 10:52 AM IST,
    Updated On - December 10, 2025 / 10:52 AM IST

कोटा (राजस्थान), 10 दिसंबर (भाषा) पड़ोसी रणथंबोर में दो व्यक्तियों पर कथित तौर पर जानलेवा हमला करने वाली बाघिन ‘एमटी-8’ उर्फ ​​‘कनकटी’ को सड़क पर घूमते देखे जाने से क्षेत्र में कुछ देर के लिए दहशत फैल गई और यातायात थम गया।

बाघिन यहां मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य में अपने निर्धारित 82 वर्ग किलोमीटर के बाड़े से बाहर निकल गई थी।

मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य (एमएचटीआर) के उप वन संरक्षक (डीसीएफ) मुथु एस ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बाघिन को ‘रेडियो कॉलर’ लगाया गया है और वह मंगलवार सुबह अपने बाड़े से निकल गई थी। हालांकि वह मंगलवार को बाद में जंगल में अपने स्थान पर लौट आई।

उन्होंने बताया कि ‘कनकटी’ इस साल की शुरुआत में रणथंबोर वन क्षेत्र में दो लोगों की जान लेने के कारण कुख्यात हो गई थी, जिसके बाद उसे 19 जून को एमएचटीआर में स्थानांतरित कर दिया गया था।

‘कनकटी’ को लगभग दो महीने तक 21 हेक्टेयर के इस बाड़े में रखा गया था जिसके बाद 15 अगस्त को उसे फिर से जंगल में छोड़ा गया जहां उसे एमएचटीआर के दारा वन क्षेत्र में 82 वर्ग किलोमीटर के बाड़े में रखा गया।

मंगलवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे बाघिन ने अपने निर्धारित बाड़े से निकलकर सड़क पार कर ली, जिससे लोगों में दहशत फैल गई और दोनों तरफ यातायात कुछ देर के लिए थम गया।

बाघिन की उपस्थिति को भांपकर कुछ मवेशी तुरंत वहां से भाग निकले, जबकि कुछ पुलिसकर्मियों और राहगीरों को सड़क पार करती बाघिन का मोबाइल फोन से वीडियो बनाते देखा गया।

मुथु ने बताया कि बाघिन बटवाड़ा रोड को पार कर गई, जो एमएचटीआर का हिस्सा है और फिर दिन में बाद में दारा वन क्षेत्र में स्थित अपने बाड़े में लौट आई।

डीसीएफ ने बताया कि बाघिन को रेडियो कॉलर लगाया गया है और वन विभाग की तीन टीम 24 घंटे उस पर नजर रख रही हैं।

उन्होंने बताया कि चूंकि बाघिन पर नजर रखी जा रही है इसलिए सड़क के आसपास के इलाकों की घेराबंदी कर दी गई है।

डीसीएफ ने बताया कि वन विभाग की टीम विशेष निगरानी बरत रही है क्योंकि इसी तरह की एक घटना में 20 साल पहले एक बाघिन रणथंबोर वन क्षेत्र से भटकने के बाद ट्रेन की चपेट में आ गई थी।

वन्यजीव प्रेमी बृजेश विजयवर्गीय ने बाघिन के घूमते पाए जाने को एमएचटीआर में निगरानी में ‘‘लापरवाही बरते जाने’’ और ‘‘अपर्याप्त’’ सुरक्षा उपायों का परिणाम बताया। इसके लिए उन्होंने वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया।

विजयवर्गीय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘20 साल पहले एक बाघिन की आकस्मिक मृत्यु से सबक लेते हुए वन विभाग को जंगली जानवरों को सड़क या रेल पटरी पार करने से रोकने के लिए बाड़ लगानी चाहिए थी। बाड़ नहीं होने के कारण ही बाघिन ‘कनकटी’ बाहर निकल आई और सड़क पार कर गई, जिससे उसकी जान जोखिम में पड़ गई।’’

भाषा सुरभि जोहेब

जोहेब