राज्यसभा में दी गई पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल को श्रृद्धांजलि

राज्यसभा में दी गई पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल को श्रृद्धांजलि

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 12:46 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 12:46 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को पूर्व गृह मंत्री, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और उच्च सदन के पूर्व सदस्य शिवराज पाटिल को श्रद्धांजलि दी गई।

शून्यकाल के आखिर में सभापति सी पी राधाकृष्णन ने पाटिल के निधन का जिक्र किया।

उन्होंने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पाटिल के संसदीय जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के रूप में पाटिल का उच्च कोटि की संसदीय मर्यादाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

पाटिल कुछ समय से बीमार थे और उन्होंने लातूर में अपने आवास ‘देवघर’ में 90 वर्ष की आज में आज सुबह अंतिम सांस ली।

सभापति ने बताया कि पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर, 1935 को हुआ और उन्होंने 1966 और 1970 के बीच लातूर नगर परिषद प्रमुख के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। इसके बाद वह दो बार विधायक चुने गए। वह 1977 से 1979 के बीच महाराष्ट्र विधानसभा में उपाध्यक्ष और अध्यक्ष समेत कई अहम पदों पर रहे।

सभापति ने बताया कि पाटिल लातूर लोकसभा सीट से सात बार जीते और 1991 से 1996 तक लोकसभा के 10वें अध्यक्ष रहे। ​​2004 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा की रूपताई पाटिल निलंगेकर से हार गए थे। पाटिल राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने उच्च सदन में महाराष्ट्र का 2004 से 2010 तक प्रतिनिधित्व किया।

सभापति ने बताया कि कांग्रेस नेता ने रक्षा, वाणिज्य और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहित कई केंद्रीय मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। पाटिल 2004 से 2008 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे। 2008 में उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद इस्तीफा दे दिया था।

राधाकृष्णन ने कहा कि पाटिल पंजाब के राज्यपाल भी रहे और उन्होंने 2010 से 2015 तक चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में भी कार्य किया।

इसके बाद सदस्यों ने अपने स्थानों पर खड़े हो कर कुछ देर मौन रखा और दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी।

इससे पहले, सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति राधाकृष्णन ने 13 दिसम्बर 2001 के संसद हमले का जिक्र किया। हमले की 24वीं बरसी पर सदन में उन सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई जो हमले के दौरान आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुए थे।

उन्होंने कहा कि इस कायरता पूर्ण हमले को 24 वर्ष पूरे हो रहे हैं।

सभापति ने कहा ‘‘कल 13 दिसंबर को संसद हमले की 24वीं बरसी है। आज यह सदन 13 दिसंबर, 2001 की उस दुखद घटना को गहरी संवेदना के साथ स्मरण कर रहा है जब आतंकवादियों ने लोकतंत्र के उच्चतम प्रतीक भारत की संसद पर हमला किया गया था। संसद की सुरक्षा में तैनात हमारे सुरक्षा बलों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए हमले को विफल कर दिया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादियों के हमले का बहादुरी से सामना करते हुए संसद सुरक्षा बल, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के आठ सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के एक कर्मचारी भी शहीद हुए थे। यह सदन वीरगति को प्राप्त सभी शहीदों के सर्वोच्च बलिदान के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनके परिवारजन के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है।’’

सभापति ने कहा, ‘‘इस अवसर पर हम आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपने संकल्प को पुन: दोहराते हैं और अपनी मातृभूमि की एकता, अखंडता और संप्रुभता की रक्षा के अपने संकल्प की पुन: पुष्टि करते हैं।’’

इसके बाद सदन में सदस्यों ने शहीद सुरक्षाकर्मियों के सम्मान में कुछ पलों का मौन रखा।

वर्ष 2001 में 13 दिसंबर को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था। इस हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कर्मी और संसद के दो कर्मी शहीद हुए थे। एक अन्य कर्मचारी और एक कैमरामैन की भी हमले में मौत हो गई थी।

भाषा

मनीषा माधव

माधव