नयी दिल्ली । भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने उनके कार्यकाल के दौरान कई उच्च न्यायालयों में लगभग 224 न्यायाधीशों की नियुक्ति की है और दिल्ली उच्च न्यायालय से संबंधित लगभग सभी नामों को मंजूरी दी है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की है कि इन सिफारिशों को केंद्र की मंजूरी मिल जाएगी। न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान न्यायाधीशों की नियुक्ति और बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह कानूनी बिरादरी की अपेक्षाओं पर खरे उतरे होंगे।
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सीजेआई ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि मैं उस उम्मीद पर खरा उतरा होऊंगा, जिसकी आपने मुझसे उम्मीद की थी। मैंने प्रधान न्यायाधीश के रूप में अपने कर्तव्यों का हरसंभव तरीके से निर्वहन किया। आप सभी जानते हैं कि मैंने दो मुद्दों को (पुरजोर तरीके से) उठाया है- बुनियादी ढांचा और न्यायाधीशों की नियुक्ति। उच्चतम न्यायालय और कॉलेजियम के साथियों को सहयोग के लिए धन्यवाद। हमने उच्च न्यायालयों में लगभग 224 न्यायाधीश सफलतापूर्वक नियुक्त किए।’’
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वह दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। न्यायमूर्ति रमण 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वह सितंबर 2013 से फरवरी 2014 तक दिल्ली उच्च न्यायालय के भी मुख्य न्यायाधीश रहे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है अब हमने एक या दो नामों को छोड़कर लगभग सभी नामों की मंजूरी दे दी है। मुझे उम्मीद है कि सरकार उन नामों को भी हरी झंडी दे देगी। इस कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश- संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति हिमा कोहली, दिल्ली उच्च न्यायालय के सभी पूर्व एवं मौजूदा न्यायाधीशों के साथ-साथ बार के सदस्य भी उपस्थित थे।
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निवर्तमान सीजेआई ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले हम छह लोग हैं। भले ही मैं सेवानिवृत्त हो रहा हूं, लेकिन दिल्ली से पांच प्रतिनिधि (अब भी) हैं। मुझे उम्मीद है कि कुछ और प्रतिनिधि जल्द ही इसमें शामिल होंगे।’’ सीजेआई ने कहा, ‘‘मुझे कभी किसी हड़ताल या किसी धरने या किसी भी चीज़ का सामना करने का अवसर नहीं मिला। यह सबसे बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि मुझे चेतावनी दी थी कि तुम दिल्ली जा रहे हो, तुम्हें धरना और हड़ताल का सामना करने के लिए तैयारी करनी चाहिए, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ।’’