नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को राज्यों में सोशल मीडिया से जुड़े अपने अधिकारियों से कहा कि वे भ्रामक सूचनाओं का तथ्यों के साथ जवाब दें।
यहां एक कार्यशाला में राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के कार्यालयों में मीडिया और सोशल मीडिया से जुड़े अधिकारियों को बताया गया कि भ्रामक सूचनाओं के बढ़ते खतरे को देखते हुए, यह स्पष्ट रूप से बताना जरूरी है कि भारत में चुनाव संविधान के अनुसार ही होते हैं।
उन्हें भ्रामक सूचनाओं का तथ्यों के साथ जवाब देते रहने के लिए कहा गया।
मीडिया और अन्य हितधारकों को समय पर तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करने के लिए सीईओ कार्यालयों के संचार तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए सत्र आयोजित किए गए।
कार्यशाला में मीडिया और सोशल मीडिया के दृष्टिकोण से मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को समर्पित सत्र आयोजित किए गए।
गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए विभिन्न उपकरणों, तकनीक और रणनीतियों पर एक विशेषज्ञ सत्र भी आयोजित किया गया।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आरोप लगाते रहे हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वोट ‘चोरी’ की गई और फिर सबूतों के साथ उनकी पार्टी ने दिखाया कि कैसे कर्नाटक के बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में ‘वोट चोरी’ की गई।
कांग्रेस नेता ने 17 अगस्त को चुनावी राज्य बिहार के सासाराम से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की। एक सितंबर को पटना में संपन्न हुई इस यात्रा का उद्देश्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के माध्यम से लोगों के मतदान के अधिकार पर किए जा रहे कथित हमले को उजागर करना था।
निर्वाचन आयोग के खिलाफ ‘वोट चोरी’ के आरोपों के लिए राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त को कांग्रेस नेता को अपने दावों के समर्थन में हस्ताक्षरित हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए सात दिन का अल्टीमेटम दिया और कहा कि ऐसा नहीं करने पर उनके आरोपों को निराधार और अमान्य माना जाएगा।
भाषा
संतोष देवेंद्र
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