रूह अफ़ज़ा विवाद : 24 घंटे में हमदर्द के खिलाफ आपत्तिजनक वीडियो हटाएं बाबा रामदेव : अदालत

रूह अफ़ज़ा विवाद : 24 घंटे में हमदर्द के खिलाफ आपत्तिजनक वीडियो हटाएं बाबा रामदेव : अदालत

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  • Publish Date - May 1, 2025 / 05:58 PM IST,
    Updated On - May 1, 2025 / 05:58 PM IST

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को योग गुरु रामदेव को आदेश दिया कि वे ‘रूह अफ़ज़ा’ के निर्माता हमदर्द को निशाना बनाने वाले एक आपत्तिजनक वीडियो को सोशल मीडिया मंच से 24 घंटे के भीतर हटा दें।

यह आदेश तब दिया गया जब उन पर इस पेय के खिलाफ उनके विवादास्पद ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान को लेकर अवमानना ​​का आरोप लगाया गया।

इससे पहले न्यायालय ने उन्हें आदेश दिया था कि वे भविष्य में हमदर्द सहित अन्य प्रतिस्पर्धियों के उत्पादों से संबंधित कोई भी बयान या वीडियो पूर्व की तरह जारी या साझा नहीं करेंगे।

हालांकि, बृहस्पतिवार को हमदर्द के वकील ने अदालत को बताया कि रामदेव ने फिर से आपत्तिजनक सामग्री वाला एक वीडियो प्रसारित किया है। इसके परिणामस्वरूप, रामदेव को हमदर्द और उसके उत्पादों से जुड़े वीडियो के आपत्तिजनक हिस्से को सभी सोशल मीडिया मंच और अन्य मीडिया मंच से 24 घंटे के भीतर हटाने का आदेश दिया गया।

न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा, ‘‘पिछले आदेश के मद्देनजर, यह वीडियो और आपने जो हलफनामा दाखिल किया है, वह प्रथम दृष्टया अवमानना ​​के दायरे में आता है। मैं अब अवमानना ​​नोटिस जारी करूंगा। हम उन्हें यहां बुला रहे हैं।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वह (रामदेव) किसी के वश में नहीं हैं। वह अपनी ही दुनिया में रहते हैं।’’ अदालत हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया की ओर से विवादास्पद टिप्पणी को लेकर रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि फूड्स लिमिटेड के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अदालत ने रामदेव से एक सप्ताह के भीतर अपने आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई दो मई तक के लिए स्थगित कर दी।

हमदर्द का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि रामदेव ने एक नया वीडियो जारी किया है जिससे पता चलता है कि वह इस अदालत सहित किसी का कोई सम्मान नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एक दिन में ही इसे 8.9 लाख बार देखा गया, 8,500 लोगों ने इसे पसंद किया और 2,200 लोगों ने इस पर टिप्पणी की और वीडियो वायरल हो गया। यह एक सांप्रदायिक वीडियो की पहुंच है जो कानून की अनुमति से कहीं अधिक है।’’

सेठी ने तर्क दिया कि रामदेव के दोनों वीडियो का लहजा सांप्रदायिक था और वह उपभोक्ताओं को दूसरों के बजाय अपने उत्पाद चुनने के लिए कहकर उनके बीच सांप्रदायिक विभाजन पैदा कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘न्याय की किसी भी भावना से इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।’’ रामदेव और पतंजलि का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर और जयंत मेहता ने कहा कि वीडियो अरुचिकर और अधिक से अधिक मानहानि वाला हो सकता है, लेकिन किसी अन्य कंपनी के उत्पादों का अपमान नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई का एक अलग कारण था और अवमानना ​​का मामला नहीं बनता।

नायर ने कहा, ‘‘मैंने वीडियो हटाने के लिए अदालत के आदेश का पालन किया है। अधिक से अधिक यह मानहानि हो सकती है और इसके लिए वादी को स्वयं कदम उठाना चाहिए।’’

रामदेव द्वारा जारी किए गए नए वीडियो को देखने के बाद न्यायाधीश ने रामदेव के वकील से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह आपके नियंत्रण से बाहर हैं।’’ न्यायाधीश ने कहा कि वकील ऐसे वीडियो को उचित नहीं ठहरा सकते।

अदालत ने कहा, ‘‘यह उनके हलफनामे के झूठ को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और देश के कानून का सख्ती से पालन करते हैं।’’

अदालत ने पिछली बार कहा था कि ‘हमदर्द’ के रूह अफ़ज़ा पर रामदेव की ‘‘शरबत जिहाद’’ वाली टिप्पणी अनुचित है और इसने उसकी अंतरात्मा को झकझोर दिया है, जिसके बाद योग गुरु ने आश्वासन दिया था कि वह संबंधित वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत हटा देंगे।

‘हमदर्द’ के वकील ने दावा किया कि पतंजलि के ‘‘गुलाब शरबत’’ का प्रचार करते हुए रामदेव ने आरोप लगाया कि हमदर्द के रूह अफ़ज़ा से अर्जित धन का इस्तेमाल मदरसों और मस्जिदों के निर्माण में किया गया।

भाषा संतोष नरेश

नरेश