नई दिल्ली। विदेशी बाजार में गुरुवार के दिन भारतीय मुद्रा रुपया डॉलर के मुकाबले 18 पैसे गिरकर 79.9975 पर पॅंहुच गया। फारेक्स मार्केट में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की गिरावट इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट है। रुस—यूक्रेन युद्ध, बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ते आयात के चलते लगातार रुपये में हो रही गिरावट ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। बढ़ती मुद्रास्फीति और रुपये की घटती वैल्यू देश को महंगाई की ओर धकेलेगा, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। अगर ऐसा होता है तो आपके किचन में इस्तेमाल होने वाले सरसों और रिफाइंड तेल से लेकर गाड़ी डलने वाला पेट्रोल एवं मोबाइल और लैपटॉप सब महंगे हो जाएंगे। इसके अलावा जिन भी पैकेज्ड वस्तुओं में खाने के तेल का इस्तेमाल होता है, वो भी महंगी हो जाएंगी जैसे कि आलू के चिप्स, नमकीन इत्यादि।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां Click करें*<<
1 खनिजों की कीमतों में तेज गिरावट के कारण थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जून में तीन महीने के निचले स्तर 15.18 प्रतिशत पर आ गई है।
2 जनवरी 2022 से छह महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में 34 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है।
3 छह महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में 34 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है।
4 भारत का बढ़ता आयात और बढ़ती वैश्विक महंगाई
रुपये में गिरावट से आयातकों को नुकसान होगा, जबकि निर्यातकों को फायदा होगा। किसी वस्तु का आयात करने पर हमें डॉलर में ज्यादा रुपया देना होगा। निर्यात में डॉलर के हिसाब से कारोबारियों को ज्यादा रुपया मिलेगा। रुपये की कमजोरी घर में महंगाई बढ़ाएगी, और इसके साथ ही भारत से जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं उनकी पढ़ाई भी महंगी हो जाएगी।