अंडमान में भारत के एकमात्र सक्रिय मिट्टी के ज्वालामुखी से एकत्र नमूने 2.3 करोड़ वर्ष पुराने: जीएसआई

अंडमान में भारत के एकमात्र सक्रिय मिट्टी के ज्वालामुखी से एकत्र नमूने 2.3 करोड़ वर्ष पुराने: जीएसआई

अंडमान में भारत के एकमात्र सक्रिय मिट्टी के ज्वालामुखी से एकत्र नमूने 2.3 करोड़ वर्ष पुराने: जीएसआई
Modified Date: October 19, 2025 / 06:45 pm IST
Published Date: October 19, 2025 6:45 pm IST

पोर्ट ब्लेयर, 19 अक्टूबर (भाषा) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बाराटांग में भारत के एकमात्र सक्रिय मिट्टी के ज्वालामुखी से एकत्र किए गए नमूने 2.3 करोड़ वर्ष पहले के ओलिगोसीन युग के हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी के मुहाने से निकले ‘लिथोक्लास्ट’, (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक भूवैज्ञानिक संरचना) मिथाकारी समूह के बलुआ पत्थर और शेल से बने पाए गए, जो इसी भूवैज्ञानिक काल के हैं।

अधिकारी ने बताया कि ओलिगोसीन एक भूवैज्ञानिक युग है जो लगभग 3.39 से 2.3 करोड़ वर्ष पूर्व तक चला, जिसमें घास के मैदानों का विस्तार, वैश्विक शीतलन, तथा प्रथम हाथियों, बिल्लियों और कुत्तों सहित कई आधुनिक स्तनपायी प्रजातियों का विकास हुआ।

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जीएसआई के उप महानिदेशक शांतनु भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा ’को बताया, ‘‘हमने दो अक्टूबर को रिपोर्ट किए गए सक्रिय मिट्टी के ज्वालामुखी का आकलन करने के लिए 8-9 अक्टूबर को मौके का मुआयना किया। हमने मिट्टी का नमूना एकत्र किया और पाया कि यह ओलिगोसीन युग का था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कई छोटे छिद्रों वाले कुल चार मिट्टी के ज्वालामुखी समूह देखे गए हैं, जो लगभग 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले हैं और जिनके केंद्र की ऊंचाई लगभग दो मीटर है। यह विस्फोट स्थल के क्षेत्रफल में पहले के 100 वर्ग मीटर और एक मीटर की ऊंचाई के रिकॉर्ड से उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। छिद्रों के सभी समूहों से लगातार तरल मिट्टी और गैसें निकल रही थीं।’’

भट्टाचार्य ने कहा कि मिट्टी के ज्वालामुखियों का सतही तापमान 29.3 डिग्री से 30.07 डिग्री सेल्सियस के बीच था, तथा पीएच 8.0 से 8.3 के बीच था, जो मिट्टी के तरल पदार्थ की कमजोर क्षारीय प्रकृति को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, “कुछ छिद्रों पर कीचड़युक्त पदार्थ की सतह पर पतली परतों के रूप में एक तैलीय काली चमक भी देखी गई।’’

जीएसआई ने अंडमान और निकोबार प्रशासन से लोगों की मिट्टी के ज्वालामुखी से सुरक्षित दूरी सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था करने को कहा है।

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत


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