नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राशन कार्ड जारी करने के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों के सत्यापन में देरी के लिए मंगलवार को राज्यों को फटकार लगाई और उन्हें यह कवायद चार सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को उन राज्यों को खाद्यान्न जारी करने का भी निर्देश दिया, जिन्होंने प्रवासी मजदूरों का सत्यापन पूरा कर लिया है।
सत्यापन में देरी को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताते हुए न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि यदि राज्य निर्धारित समय के भीतर सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने में विफल रहते हैं तो वह संबंधित सचिवों को तलब करेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘सत्यापन चार महीने में क्यों पूरा नहीं हो सका? ये तो हद हो गई। चार महीने बाद भी आप यह कर रहे हैं और यह कहने की हिम्मत कर रहे हैं कि इसके लिए और दो महीने चाहिए…हम निर्देश देते हैं कि पूरा सत्यापन चार सप्ताह में पूरा किया जाए।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि बिहार और तेलंगाना ही ऐसे राज्य हैं जिन्होंने प्रवासी मजदूरों का 100 प्रतिशत सत्यापन पूरा कर लिया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ राज्यों ने सत्यापन की प्रक्रिया पूरी कर ली है, जबकि अन्य ने अभी तक यह प्रक्रिया शुरू भी नहीं की है।
भूषण ने कहा कि एक और मुद्दा यह भी है कि राशन कार्ड जारी होने के बाद भी ये राज्य इन श्रमिकों को राशन जारी नहीं कर रहे हैं और उनका (राज्यों) कहना है कि केंद्र सरकार ने इन लोगों के लिए अतिरिक्त राशन आवंटित नहीं किया है।
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लगभग आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों को दो महीने के भीतर राशन कार्ड उपलब्ध कराएं।
भाषा शफीक नरेश
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