नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें विदेशी अंशदान (नियमन) अधिनियम, 2010 के तहत एक संगठन के पंजीकरण के नवीनीकरण के आदेश को चुनौती दी गई थी।
यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
केंद्र की ओर से पेश वकील ने कहा कि नवीनीकरण इसलिए नहीं किया गया क्योंकि इसमें एफसीआरए अधिनियम की धारा 7 का कथित उल्लंघन हुआ है।
अधिनियम की धारा 7 विदेशी अंशदान को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करने पर प्रतिबंध से संबंधित है।
पीठ ने पूछा, “और क्या? क्या उन्होंने कोई गबन किया है? क्या उन्हें मिले धन का कोई दुरुपयोग हुआ है? ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं है। अगर वे कोई सामाजिक सेवा कर रहे हैं… तो आपको क्या समस्या है?”
जब वकील ने अधिनियम की धारा 7 का हवाला दिया, तो पीठ ने कहा, “खारिज”।
पीठ ने टिप्पणी की, “चीजों को जटिल मत बनाइए। उन्हें और परेशान मत कीजिए।”
केंद्र ने मद्रास उच्च न्यायालय के जून 2025 के आदेश को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने दो याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया, जिसमें अधिनियम के तहत पंजीकरण के नवीकरण के आवेदन को खारिज करने की कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका भी शामिल थी।
एक याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि उसकी स्थापना 1982 में बच्चों की शिक्षा और समग्र कल्याण में सुधार के उद्देश्य से की गई थी।
ट्रस्ट ने कहा कि उसे विदेशी दान प्राप्त हुआ और मार्च 1983 में अधिनियम की धारा 12 के तहत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
उसने कहा कि नवीनतम नवीनीकरण नवंबर 2016 से पांच वर्षों की अवधि के लिए हुआ था।
ट्रस्ट ने कहा कि उसने पंजीकरण प्रमाणपत्र के नवीनीकरण के लिए अधिनियम की धारा 16 के तहत फरवरी 2021 में एक आवेदन दायर किया था और दिसंबर 2021 में उसे एक सूचना प्राप्त हुई जिसमें बताया गया कि नवीनीकरण के लिए आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है।
उच्च न्यायालय ने उल्लेख किया कि इससे पहले अन्य अपीलकर्ता ट्रस्ट के सहयोगी गैर सरकारी संगठनों में से एक था और नवीनीकरण के लिए उसका आवेदन भी दिसंबर 2021 में खारिज कर दिया गया था।
भाषा प्रशांत पवनेश
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