आनुवंशिक रूप से संवर्धित सरसों पर रोक संबंधी याचिका पर न्यायालय का खंडित फैसला

आनुवंशिक रूप से संवर्धित सरसों पर रोक संबंधी याचिका पर न्यायालय का खंडित फैसला

आनुवंशिक रूप से संवर्धित सरसों पर रोक संबंधी याचिका पर न्यायालय का खंडित फैसला
Modified Date: July 23, 2024 / 12:45 pm IST
Published Date: July 23, 2024 12:45 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सरसों की संकर (हाइब्रिड) किस्म डीएमएच-11 को बीज उत्पादन और परीक्षण के लिए पर्यावरण में छोड़ने के केंद्र सरकार के वर्ष 2022 के फैसलों की वैधता पर मंगलवार को खंडित फैसला सुनाया।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने जीएम सरसों को पर्यावरण में छोड़े जाने की सिफारिश करने के जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) के 18 अक्टूबर, 2022 के फैसले और उसके बाद 25 अक्टूबर, 2022 को सुनाए गए ‘ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड डीएमएच-11’ को पर्यावरण में छोड़े जाने संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।

जीईएसी आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) जीवों के लिए देश की नियामक संस्था है।

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इस मामले में दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अलग-अलग राय दी।

पीठ ने इस मामले को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया, ताकि कोई दूसरी पीठ इस पर फैसला दे सके। हालांकि, दोनों न्यायाधीशों ने आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) फसलों पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने का केंद्र को एकमत से निर्देश दिया।

पीठ ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय जीएम फसलों पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने से पहले सभी हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ परामर्श करे और यदि इस प्रक्रिया को चार महीने में पूरा कर लिया जाए, तो बेहतर रहेगा।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने जीएम फसलों को पर्यावरण में छोड़े जाने के मुद्दे पर कहा कि 18 और 25 अक्टूबर, 2022 को दिए गए जीईएसी के निर्णय दोषपूर्ण थे, क्योंकि बैठक में स्वास्थ्य विभाग का कोई सदस्य नहीं था और कुल आठ सदस्य अनुपस्थित थे।

दूसरी ओर, न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि जीईएसी के फैसले किसी भी तरह से मनमाने और गलत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जीएम सरसों फसल को सख्त सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए पर्यावरण में छोड़ा जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स और गैर-सराकारी संगठन ‘जीन कैंपेन’ की अलग-अलग याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। याचिका में स्वतंत्र विशेषज्ञ निकाय द्वारा एक व्यापक, पारदर्शी और कठोर जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किए जाने तक पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संवर्धित जीवों (जीएमओ) को छोड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।

भाषा सिम्मी पारुल

पारुल


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