नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या भारतीय वायुसेना के नियमों के तहत पारिवारिक पेंशन के लिए सौतेली मां के नाम पर विचार किया जा सकता है या नहीं, क्योंकि ‘‘मां एक बहुत व्यापक शब्द है’’।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के उस फैसले पर सवाल उठाया जिसमें छह साल की उम्र से अपने सौतेले बेटे का पालन-पोषण करने वाली एक महिला को पारिवारिक पेंशन देने से इनकार कर दिया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘ मां एक बहुत व्यापक शब्द है।’’
उसने कहा कि आजकल, दुनिया में बहुत सी चीजें हो रही हैं, ऐसे में बच्चे का पालन-पोषण केवल जैविक मां ही नहीं करती है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने वायुसेना के वकील से कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा पैदा होता है और जैविक मां का निधन हो जाता है तथा पिता दूसरी शादी कर लेता है… सौतेली मां, जब से बच्चे को स्तनपान की जरूरत होती है, तब से उसका पालन-पोषण करती है और फिर वह सेना, वायुसेना और नौसेना का अधिकारी बन जाता है। अगर उसने वास्तव में उस बच्चे की देखभाल की है, तो क्या वह उसकी मां नहीं है?’’
वहीं, वायु सेना के वकील ने भारतीय वायुसेना के निर्णय को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए कहा कि ऐसे अनेक निर्णय हैं जिनमें सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन नहीं दी गई।
वकील ने कहा, ‘‘इस न्यायालय के ऐसे निर्णय हैं जो सौतेली मां शब्द की व्याख्या करते हैं। नियमों के अंतर्गत एक सुस्थापित मानदंड है कि कौन पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र है।’’
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘नियम ऐसी चीज है जो आपने तय की हैं। नियम संवैधानिक अनिवार्यता नहीं है… हम इन नियमों के पीछे के तर्क पर सवाल उठा रहे हैं। आप तकनीकी रूप से सौतेली मां को विशेष पेंशन या पारिवारिक पेंशन से कैसे और किस आधार पर वंचित कर सकते हैं?’’
याचिकाकर्ता और वायुसेना दोनों के वकीलों से उचित प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों अधिवक्ता तैयार नहीं हैं। पीठ ने उन्हें इस विषय पर इस अदालत और उच्च न्यायालयों के निर्णयों को पढ़ने के लिए कहा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने वकीलों से कहा, ‘‘पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के दो निर्णय हैं, जिनमें से एक सिविल सेवा नियमों से संबंधित है, जिसमें सौतेली मां और पेंशन के मुद्दे पर विचार किया गया है। आप इन निर्णयों को पढ़ें और सुनवाई की अगली तारीख पर तैयार होकर आएं।’’
उन्होंने मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त के लिए निर्धारित की।
शीर्ष अदालत जयश्री की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अपने सौतेले बेटे हर्ष को उसकी जैविक मां के निधन के बाद पाला था।
उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के 10 दिसंबर, 2021 के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उनके पुत्र, जो वायु सेना में थे, के निधन के बाद पारिवारिक पेंशन देने से इनकार कर दिया गया था।
पिछले साल 19 जुलाई को शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी और केंद्र तथा वायु सेना को नोटिस जारी किया था।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या सौतेली मां सेना के नियमों के अनुसार विशेष पेंशन और साधारण पारिवारिक पेंशन की हकदार हैं?’’
एएफटी ने 10 दिसंबर, 2021 के अपने फैसले में भारतीय वायुसेना के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें सौतेली मां को विशेष पारिवारिक पेंशन देने से इस आधार पर इनकार किया गया था कि यह केवल जैविक मां को ही दी जा सकती है।
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा
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