न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, प्रचार हित याचिका बताया

न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, प्रचार हित याचिका बताया

न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, प्रचार हित याचिका बताया
Modified Date: August 11, 2025 / 01:35 pm IST
Published Date: August 11, 2025 1:35 pm IST

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें राज्य निर्वाचन आयोगों (एसईसी) को राजनीतिक दलों की ऐसी कथित अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई थी, जो ‘देश की संप्रभुता, अखंडता और एकता’ को कमजोर कर सकती हैं।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने कहा, ‘‘जनहित याचिकाएं (पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन) जरूरी हैं, लेकिन जनहित याचिकाओं के नाम पर हम प्रचार हित याचिकाओं (पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन) की अनुमति नहीं दे सकते।’’

पीठ ने सीधे उच्चतम न्यायालय जाने की प्रथा पर भी नाराजगी जताई।

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घनश्याम दयालु उपाध्याय नाम के एक व्यक्ति ने केंद्र और निर्वाचन आयोग के खिलाफ याचिका दायर की लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें चेतावनी देते हुए पूछा, ‘‘क्या इसे मुंबई उच्च न्यायालय में नहीं उठाया जा सकता? यह एक प्रचार हित याचिका के अलावा और कुछ नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जनहित याचिकाएं जरूरी हैं, लेकिन यह याचिका केंद्र या निर्वाचन आयोग के नीतिगत मामलों से संबंधित है और अनुच्छेद 32 के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में आने को उचित नहीं ठहराती।’’

इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका वापस लेने और वैकल्पिक उपाय अपनाने की अनुमति दे दी।

सुनवाई के अंत में, प्रधान न्यायाधीश याचिकाकर्ता के वकील से नाराज हो गए और कहा, ‘‘मुझे ये तेवर मत दिखाओ। मुझे आपको यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि मुंबई उच्च न्यायालय में क्या हुआ था। मैंने आपको पहले भी अवमानना से बचाया है।’’

याचिका में सभी राज्य निर्वाचन आयोगों को देश भर में राजनीतिक दलों की गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें रोकने के लिए एक संयुक्त योजना बनाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

भाषा वैभव नरेश

नरेश


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