न्यायालय का लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ कानून के लिए केंद्र को निर्देश देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार
न्यायालय का लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ कानून के लिए केंद्र को निर्देश देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार
नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को विवाह, तलाक, विरासत और गुजारा भत्ता जैसे विषयों पर लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ एक समान कानून बनाने को लेकर केंद्र को निर्देश देने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई से यह कहकर इनकार कर दिया कि वह संसद को ‘‘कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकता ।’’
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड एवं न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की इस दलील पर संज्ञान लिया कि यह मुद्दा विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और इसलिए याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिकाओं समेत इससे संबंधित अन्य याचिकाओं का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यह मुद्दा विशेष रूप से विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और (कानून बनाने के लिए) संसद को इसके लिए आदेश जारी नहीं किया जा सकता।’’
पीठ विभिन्न मुद्दों पर लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ एक समान कानून बनाने के लिए सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
उपाध्याय ने केंद्र को तलाक, गोद लेना, संरक्षण, उत्तराधिकार, विरासत, भरण-पोषण, विवाह की उम्र और गुजारे भत्ता के लिए लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ एक समान कानून बनाने के संबंध में केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए पांच अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।
भाषा
सुरभि नरेश
नरेश

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