न्यायालय ने धारावी पुनर्विकास परियोजना पर यथास्थिति का आदेश देने से इनकार किया |

न्यायालय ने धारावी पुनर्विकास परियोजना पर यथास्थिति का आदेश देने से इनकार किया

न्यायालय ने धारावी पुनर्विकास परियोजना पर यथास्थिति का आदेश देने से इनकार किया

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Modified Date: March 7, 2025 / 05:05 PM IST
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Published Date: March 7, 2025 5:05 pm IST

नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मुंबई में धारावी पुनर्विकास परियोजना पर यथास्थिति का आदेश देने से इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के 20 दिसंबर, 2024 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से जवाब मांगा। अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को इस परियोजना के लिए निविदा दी गई है।

उच्च न्यायालय ने धारावी में बस्तियों के पुनर्विकास का रास्ता साफ कर दिया था और परियोजना के लिए अदाणी समूह को दी गई निविदा को बरकरार रखा था तथा कहा था कि निर्णय में कोई ‘‘मनमानी, कुछ अनुचित या दुराग्रह’’ नहीं था।

इस प्रक्रिया में उच्च न्यायालय ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन की याचिका को खारिज कर दिया था। इस याचिका में राज्य सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को पुनर्विकास परियोजना देने का फैसला किया गया था। अदाणी समूह ने परियोजना के लिए 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।

सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन 2018 में 7,200 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ परियोजना के लिए सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी, लेकिन बाद में सरकार ने निविदा रद्द कर दी थी।

अदाणी समूह मुंबई के मध्य में 259 हेक्टेयर की धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में उभरा था और 2022 की निविदा प्रक्रिया में 5,069 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ इसे हासिल किया था।

सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है।

याचिका पर नोटिस जारी करते हुए, पीठ ने अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को एक ही बैंक खाते के माध्यम से परियोजना के लिए भुगतान करने का निर्देश दिया।

याचिका पर पीठ द्वारा नोटिस जारी करने के बाद, सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी. आर्यमा सुंदरम ने अदालत से यथास्थिति का आदेश देने का आग्रह किया।

हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘नहीं।’’

सुंदरम ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता कंपनी ने पहली निविदा में 7,200 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘हम (कंपनी) 7,200 करोड़ रुपये की अपनी पेशकश में 20 प्रतिशत की वृद्धि करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यह आंकड़ा 8,640 करोड़ रुपये हो जाएगा।

राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा, ‘‘अतिरिक्त दायित्वों के बारे में क्या?’’

जब पीठ ने सुंदरम से पूछा कि क्या वह (कंपनी) ‘‘सबसे ऊंची बोली लगाने वाले पर लागू समान दायित्वों के साथ’’ प्रस्ताव को बढ़ाने के लिए तैयार है, तो सुंदरम ने कहा ‘‘हां।’’

पीठ ने प्रस्तावित प्रतिबद्धता पर सुंदरम की दलील पर गौर किया और कहा, ‘‘याचिकाकर्ता इस अदालत के समक्ष उक्त प्रभाव के लिए एक हलफनामा दाखिल करेगा।’’

इस मामले की अगली सुनवाई मई के अंतिम सप्ताह में होगी।

अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि परियोजना का काम पहले ही शुरू हो चुका है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने निर्माण कार्य (शुरू) किये हैं। मैंने धनराशि जमा कर दी है। करीब 2,000 लोगों को रोजगार मिला है।’’

मेहता ने कहा कि नए निर्माण के अलावा रेलवे के कुछ क्वार्टर को भी ध्वस्त किया गया है।

भाषा शफीक नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)