न्यायालय का नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने से इनकार

न्यायालय का नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने से इनकार

न्यायालय का नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने से इनकार
Modified Date: June 11, 2025 / 06:08 pm IST
Published Date: June 11, 2025 6:08 pm IST

नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अपनी ही नाबालिग बेटी का यौन शोषण करने के आरोपी पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ आपराध को ‘चौंकाने वाला’ बताते हुए प्राथमिकी को खारिज करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने पूछा, “बेटी आरोप लगा रही है। यह चौंकाने वाला मामला है। वह एक न्यायिक अधिकारी है और यह गंभीर आरोप हैं। यह हैरान करने वाला है कि बेटी ने आरोप लगाए हैं। उसे जीवन भर के लिए आघात पहुंचा होगा। यह कैसे प्राथमिकी को रद्द करने का मामला हो सकता है?”

पीठ ने 15 अप्रैल, 2025 को बम्बई उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ पूर्व न्यायाधीश की अपील को खारिज कर दिया।

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उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायालय के तय आरोपों को बरकरार रखा था।

पीठ ने अपीलकर्ता की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें पूर्व न्यायाधीश ने अपनी अलग रह रही पत्नी के साथ लंबे समय से जारी वैवाहिक विवाद के कारण फंसाने का जिक्र किया था।

अपीलकर्ता ने अपनी अर्जी में यह भी दलील थी कि शिकायतकर्ता पक्ष द्वारा कथित रूप से परेशान किए जाने के बाद उनके पिता ने आत्महत्या की थी।

न्यायमूर्ति मनमोहन ने टिप्पणी की, “हम इस सब में नहीं पड़ना चाहते। आत्महत्या बेटे (न्यायाधीश) के कार्यों के कारण हो सकती है।”

पूर्व न्यायाधीश के वकील ने दलील दी, “मेरे मुवक्तिल का पूरा जीवन उनकी वैवाहिक समस्याओं के कारण बर्बाद हो गया।”

वकील ने कहा, “उनके (पूर्व न्यायाधीश के) पिता ने आत्महत्या कर ली थी। शिकायत बहुत बाद में की गई थी और पहले की कानूनी कार्यवाही के दौरान इसका कभी उल्लेख नहीं किया गया।”

पीठ ने हालांकि पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत गंभीर आरोपों पर ध्यान दिया।

यह मामला मई 2014 और 2018 के बीच हुई दुर्व्यवहार की कथित घटनाओं के बाद महाराष्ट्र के भंडारा में 21 जनवरी, 2019 को दर्ज एक प्राथमिकी से सामने आया है। इस मामले में आरोप-पत्र दायर कर दिया गया है लेकिन मामले में औपचारिक आरोप तय होना बाकी है।

पूर्व न्यायाधीश पर तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला करने के अलावा पॉक्सो अधिनियम की धारा 7, 8, 9 (एल), 9 (एन) और 10 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

भाषा जितेंद्र माधव

माधव


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