नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में सजा काट रहे स्वामी श्रद्धानंद की उस याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें उसने शेष जीवन तक जेल में बंद रखने के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी शिकायतों के संबंध में कर्नाटक सरकार से संपर्क करे।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने याचिका वापस ले ली और मामले को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ के जुलाई 2008 के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया था।
श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा (84) की पत्नी शकीरा मैसूर की पूर्ववर्ती रियासत के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती थीं।
पिछले साल, उच्चतम न्यायालय ने श्रद्धानंद द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उस फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी जिसमें उसे जीवन भर जेल में रहने का निर्देश दिया गया था।
पिछले साल 11 सितंबर को, शीर्ष अदालत ने श्रद्धानंद द्वारा जेल से रिहाई की मांग को लेकर दायर की गई एक अलग रिट याचिका भी खारिज कर दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने जुलाई 2008 के अपने फैसले में उल्लेख किया कि इस जोड़े ने अप्रैल 1986 में विवाह किया था, लेकिन मई 1991 में शकीरा अचानक गायब हो गईं।
इसने कहा कि मार्च 1994 में केंद्रीय अपराध शाखा, बेंगलुरु ने शकीरा के बारे में ‘‘गुमशुदगी’’ की शिकायत पर जांच अपने हाथ में ली और श्रद्धानंद ने उसकी हत्या करने की बात कबूल की।
भाषा खारी दिलीप
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