बेंगलुरु, 29 जुलाई (भाषा) कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की 1999 में मुख्यमंत्री पद के लिए नजरअंदाज किए जाने संबंधी हालिया टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि एक वरिष्ठ नेता द्वारा अपनी भावनाएं व्यक्त करने में कुछ भी गलत नहीं था।
बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी अपनी भावनाओं को सार्वजनिक रूप से व्यक्त नहीं करना चाहिए।
शिवकुमार ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर मल्लिकार्जुन खरगे अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं तो इसमें क्या गलत है? वह एक वरिष्ठ नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस के लिए अथक परिश्रम किया है। उन्होंने बस अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अपनी भावनाएं व्यक्त करनी चाहिए, लेकिन सार्वजनिक रूप से नहीं।’’
रविवार को विजयपुरा में एक कार्यक्रम में की गई खरगे की टिप्पणी ने पार्टी के भीतर नेतृत्व और कर्नाटक में दलित मुख्यमंत्री की लंबे समय से चली आ रही मांग पर नयी बहस छेड़ दी है।
रविवार को विजयपुरा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खरगे ने 1999 के विधानसभा चुनाव में अपनी भूमिका को याद करते हुए कहा था, ‘‘…… कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में (1999 के चुनावों से पहले) मैंने पार्टी को सत्ता में लाने की कोशिश की थी। पार्टी ने सरकार बनाई और एस एम कृष्णा मुख्यमंत्री बने। वह (केपीसीसी अध्यक्ष के रूप में) चार महीने पहले (चुनावों से) आए थे….मेरी सारी सेवा पानी में बह गई। मुझे लगता है कि मैंने पांच साल तक कड़ी मेहनत की, लेकिन जो व्यक्ति चार महीने पहले आया था उसे मुख्यमंत्री बना दिया गया….।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह कहना चाहता हूं कि हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमें लालच के बिना काम करते रहना चाहिए। अगर आप लालची हैं, तो आपको कुछ नहीं मिलेगा। साथ ही आप वह भी नहीं कर पाएंगे जो आपके मन में है…..इन सब चीजों से गुजरते हुए, ब्लॉक अध्यक्ष से, आज में कांग्रेस अध्यक्ष बन गया हूं। मैं (कभी) पद के पीछे नहीं भागा।’’
शिवकुमार से यह पूछा गया कि क्या मुख्यमंत्री सिद्दरमैया द्वारा उन्हें दरकिनार किया जा रहा है, जिन्होंने उनकी भागीदारी के बिना विधायकों के साथ बैठक बुलाई। लेकिन उन्होंने इससे इनकार किया।
शिवकुमार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी है। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री विधायकों के साथ बैठकें करने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्हें रणदीप सुरजेवाला के माध्यम से विधायकों से फीडबैक मिला था और अब वह उस पर कार्रवाई कर रहे हैं। मैंने भी कुछ विधायकों के साथ बैठकें की हैं, खासकर बेंगलुरु के विकास को लेकर।’’
भाषा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा 1999 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद एस एम कृष्णा के हाथों मुख्यमंत्री का पद गंवाने की बात याद दिलाने के बीच, प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।
गोला प्रशांत
प्रशांत