शोपियां फर्जी मुठभेड़ मामला: मारे गये लोगों के शव कब्रों से निकाले गये, परिवार को सौंपे गये

शोपियां फर्जी मुठभेड़ मामला: मारे गये लोगों के शव कब्रों से निकाले गये, परिवार को सौंपे गये

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  • Publish Date - October 3, 2020 / 08:04 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:44 PM IST

श्रीनगर, तीन अक्टूबर (भाषा) जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में इस साल जुलाई में सेना द्वारा कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गये राजौरी के तीन लोगों के शव कब्रों से निकालकर उनके परिवारों के सुपुर्द कर दिए गए। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उत्तर कश्मीर में एक अज्ञात स्थान पर शुक्रवार देर रात शवों को निकालने का काम किया गया। इससे कुछ घंटे पहले ही जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा था कि शवों को कब्रों से निकालकर परिवारों को सौंपने की कानूनी प्रक्रिया चल रही है और जल्द पूरी हो जाएगी।

अधिकारियों ने कहा, ‘‘तीनों लोगों के शव कब्रों से निकाले गए और फिर उन्हें परिवारों को सौंप दिया गया।’’

उन्होंने कहा कि तीनों के परिवारों को जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले से बुलाया गया था और उस स्थान पर ले जाया गया जहां तीनों को दफन किया गया था।

अधिकारियों के अनुसार तीनों के परिवार वाले उनके शवों को अपने पैतृक गांव ले जाकर उन्हें दफनाएंगे।

इससे पहले 30 सितंबर को कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा था कि मृतकों के डीएनए के नमूनों का परिवार के सदस्यों के डीएनए से मिलान हो गया है। इसलिए तीनों शवों को बाहर निकालकर कानूनी प्रक्रिया पूरी करके परिवारों को सौंप दिया जाएगा।

गौरतलब है कि 18 जुलाई को सेना ने दावा किया था दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में ऊंचाई वाले इलाके के अमशीपुरा गांव में तीन आतंकवादी मारे गए हैं।

हालांकि बाद में सोशल मीडिया पर खबरें आईं कि जम्मू के राजौरी जिले के तीन लोग अमशीपुरा में लापता हो गए हैं, जिसके बाद सेना ने जांच शुरू की।

शोपियां में मजदूरी करने वाले इन लोगों के परिवारों ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

सेना ने रिकॉर्ड चार हफ्ते में जांच पूरी करने के बाद 18 सितंबर को कहा कि ”प्रथम दृष्टया” उसने पाया है कि उसके सैनिकों ने मुठभेड़ के दौरान सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम के तहत मिली शक्तियों के परे जाकर काम किया है और उसने इस संबंध में अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की है।

पुलिस ने भी अपनी जांच शुरू करते हुए मृतकों के साथ मिलान करने के लिये उनके परिजनों के डीएनए के नमूने लिये थे।

भाषा मानसी प्रशांत

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