बेंगलुरू। Short Essay on 12 Topics in BAMS Exam : कायाचिकित्सा के पेपर में पूछा गया एक सवाल सवालों के घेरे में है। 15 जून को 4 वर्षीय BAMS की परीक्षा में स्टूडेंट से कहा गया कि कामोत्तेजक द्रव्य के रूप में स्त्री पर एक लघु निबंध लिखिए। स्टूडेंट को पेपर में 12 टॉपिक पर लघु निबंध लिखने के लिए दिए गए। इसमें एक वाजीकर द्रव्य के रूप में महिला का भी टॉपिक रहा। इसके बाद यूजर्स भड़क गए। सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाले।
लीवर डॉक सहित कई और यूजर ने पाठ्य पुस्तक में दी गई व्याख्या पर सवाल उठाए हैं। एक यूजर ने पूछा कि क्या हम महिलाओं को एक वस्तु मानकर युवा स्टूडेंट को रेप कल्चर का तरीका नहीं सिखा रहे हैं? बैचलर डिग्री प्राप्त करने जा रहे स्टूडेंट्स को प्रोग्रेसिव और साइंटिफिक तथ्यों को सिखाने की बजाय यह क्या पढ़ाया जा रहा है? क्या मानवता और समुदाय के हित में ऐसा ठीक है? इसमें यह भी कहा गया है कि महिलाएं बच्चा पैदा करने की मशीन हैं।
EVERYONE PLZ see this theory question
asked for Final Year Bachelor’s in Ayurveda degreeQuestion is write short essay on
“Woman as an Aphrodisiac item”In the next tweets, I will show the textbook which students of Ayurveda are made to study and the answer to this question… pic.twitter.com/jTsz7DVzIw
— TheLiverDoc (@theliverdr) June 16, 2022
एक ट़्विटर यूजर ने इस पेपर का स्क्रीन शॉट द लीवर डॉक अकाउंट से शेयर किया है। यूजर ने इस विषय से जुड़ी टेक्स्ट बुक के स्क्रीन शॉट को भी शेयर किया है जो कि सेंट्रल काउंसिल ऑफ मेडिसिन से मंजूरी प्राप्त है। इस किताब में कहा गया है कि महिला सभी कामोत्तेजक दवाइयों में सर्वश्रेष्ठ है।
EVERYONE PLZ see this theory question
asked for Final Year Bachelor’s in Ayurveda degreeQuestion is write short essay on
“Woman as an Aphrodisiac item”In the next tweets, I will show the textbook which students of Ayurveda are made to study and the answer to this question… pic.twitter.com/jTsz7DVzIw
— TheLiverDoc (@theliverdr) June 16, 2022
…this is the answer that students are studying in their Bachelor’s degree, instead of progressive, scientific facts that are to be useful for community and humanity
Chapter teaches how to objectify women into aphrodisiac ‘items’ and ‘baby making factories’ pic.twitter.com/cXpmAir5V5
— TheLiverDoc (@theliverdr) June 16, 2022
मामले में राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज के रजिस्ट्रार डॉ. रामकृष्ण रेड्डी ने कहा कि क्वेश्चन पेपर सिलेबस के आधार पर बनाए गए थे। किसी भी पाठ्यपुस्तक से कोई भी तथ्य जोड़ने या हटाने के लिए यूनिवर्सिटी के पास कोई अधिकार नहीं है। इसकी जिम्मेदारी सेंट्रल काउंसिल फॉर इंडियन मेडिसिन की है।