Sri Lanka Crisis : खाने-पीने को मोहताज श्रीलंकाई… 35 दिनों में दो बार इमरजेंसी, दिवालिया घोषित

Sri Lanka Crisis: Sri Lankans, who are obsessed with food and drink : श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका

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  • Publish Date - May 11, 2022 / 07:48 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:19 PM IST

Sri Lanka Crisis : नई दिल्ली। श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका में कोरोना काल से ही आर्थिक स्थिति ख़राब हो गई थी। मार्च में लगातार बढ़ती महंगाई और अनाज की कमी से परेशान जनता अब सड़कों पर उतर आई है। हालात दिन-प्रतिदिन बद-से-बद्तर होते जा रहे हैं। अब श्रीलंका ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

मार्च के अंत तक स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि तमाम प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के निवास स्थान को घेर लिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा मचाया और तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं इन प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा के लिए खड़ी पुलिस की गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया।

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31 मार्च से अबतक क्या-क्या हुआ

1 अप्रैल- श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया महिंदा राजपक्षे ने हालात खराब होने का हवाला देकर इमरजेंसी का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही पुलिस को प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया।

2 अप्रैल- राष्ट्रपति ने पूरे श्रीलंका में 36 घंटे का कर्फ्यू (राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू) की घोषणा कर दी। साथ ही सडकों पर सुरक्षाबल तैनात कर दिया।

3 अप्रैल- राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के अलावा श्रीलंका के सभी मंत्रियों न इस्तीफा दे दिया।

4 अप्रैल- अपनी सरकार बचाने के लिए गोटाबाया ने विपक्षी दलों के साथ सरकार में सत्ता साझा करने का प्रस्ताव दिया।

5 अप्रैल- सरकार को इस्तीफा देने वाले मंत्रियों और सांसदों ने राष्ट्रपति गोटाबाया से इस्तीफा मांगा। इसके बाद देश से इमरजेंसी हटा दी गई।

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9 अप्रैल- इमरजेंसी हटने के बाद एक बार फिर देश की जनता सड़कों पर हंगामा करने लगी। इसके बाद राष्ट्रपति से इस्तीफे की मांग और तेज हो गई।

12 अप्रैल- राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश को 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुका पाने में असमर्थ बताया। खुद को दिवालिया घोषित कर दिया।

18 अप्रैल- राष्ट्रपति ने नई कैबिनेट का ऐलान किया और इसक साथ ही महिंदा राजपक्षे दोबारा प्रधानमंत्री बनाए गए।

28 अप्रैल- देश की स्थिति और खराब होने लगी। हड़ताल के चलते आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने लगीं। आवश्यक चीजों की किल्लत होने लगी।

6 मई- हड़ताल को देखते हुए एक बार फिर इमरजेंसी की घोषणा की गई।

9 मई- प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया। इसके बाद उनके समर्थक उग्र हो गए। उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमले करने शुरू कर दिए।

10 मई- श्रीलंका में लागू कर्फ्यू को 12 मई की सुबह सात बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय ने शूट ऑन साइट का आदेश जारी कर दिया है। पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे के बेटे ने दावा किया कि उनके पिता देश छोड़कर कहीं नहीं भाग रहे हैं। वह देश में ही रहेंगे।

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