राज्यों को खनिजों पर कर लगाने की शक्ति से वंचित किया गया: न्यायालय को बताया गया
राज्यों को खनिजों पर कर लगाने की शक्ति से वंचित किया गया: न्यायालय को बताया गया
नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय को बुधवार को बताया गया कि राज्यों को संविधान के तहत खानों और खनिजों पर कर लगाने की शक्ति से वंचित कर दिया गया है क्योंकि खान और खनिज विकास और विनियमन (एमएमडीआर) अधिनियम के तहत इस क्षेत्र को केंद्र ने अपने अधिकार में ले लिया है।
खनन कंपनियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष कहा कि इंडिया सीमेंट्स मामले में 1989 का फैसला कानूनन सही है जिसमें कहा गया था कि रॉयल्टी कर है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक बार जब खनन का क्षेत्र और खनन पर कर सहित शुल्क केंद्र द्वारा अपने अधिकार में ले लिया जाता है (जो वास्तव में एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के आधार पर हैं) जैसा कि उड़ीसा सीमेंट (1990 का फैसला) और महानदी कोलफील्ड्स (1994 का फैसला) में पुष्टि की गई है, राज्यों को सूची 2 की प्रविष्टि 23 और 50 दोनों के तहत उनकी शक्तियों से वंचित कर दिया गया।’’
पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं। पीठ इस सवाल पर विचार कर रही है कि क्या केंद्र द्वारा खनन पट्टों पर एकत्र की जा रही रॉयल्टी को कर माना जा सकता है, जैसा कि 1989 में सात-न्यायाधीशों की पीठ ने व्यवस्था दी थी।
शीर्ष अदालत खानों और खनिजों से संबंधित संविधान के तहत प्रदान की गई विभिन्न प्रविष्टियों के बीच परस्पर संबंध की व्याख्या कर रही है।
वरिष्ठ वकील ने कहा कि खानों और खनिज विकास के विनियमन और खनिज अधिकारों पर कर से संबंधित संपूर्ण क्षेत्र एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के तहत घोषणा के आधार पर संसद द्वारा ‘‘नियंत्रण में’’ ले लिया गया है जिससे सूची 2 की प्रविष्टि 23 के साथ 50 के तहत राज्यों की विधायी शक्ति का पूर्ण ह्रास होता है।
प्रधान न्यायाधीश ने सिंघवी से कहा कि संसद सीमाएं लगा सकती है, जैसा कि प्रविष्टियों से स्पष्ट है, लेकिन राज्यों से सूची 2 की प्रविष्टि 50 के तहत प्रदान की गई कर लगाने की उनकी शक्तियां कैसे छीन ली गई हैं।
मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को केंद्र से पूछा था कि कानून स्पष्ट शब्दों में यह क्यों नहीं कहता कि केवल संसद के पास खनिजों पर कर लगाने की शक्ति है और राज्यों को इस तरह की वसूली का अधिकार नहीं है।
भाषा आशीष अविनाश
अविनाश

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