नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अगली जनगणना में जातिगत गणना कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर बुधवार को कहा कि वह इसका समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि यह किस तिथि तक होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और विपक्ष ने पूरे देश में जमीनी स्तर पर अभियान चलाया, सरकार का यह फैसला उसी का नतीजा है।
राहुल गांधी ने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा, ‘‘जातिगत जनगणना पहला कदम है, ये दरवाजा खोलने का तरीका है। उसके बाद विकास का काम शुरू होगा।’’
सरकार ने बुधवार को फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘‘पारदर्शी’’ तरीके से शामिल किया जाएगा।
राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमने संसद में कहा था कि हम ‘जातिगत जनगणना’ करवा के ही मानेंगे, साथ ही आरक्षण में 50 प्रतिशत सीमा की दीवार को भी तोड़ देंगे। पहले तो नरेन्द्र मोदी कहते थे कि सिर्फ चार जातियां हैं, लेकिन अचानक उन्होंने जातिगत जनगणना कराने की घोषणा कर दी।’’
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘हम सरकार के इस फैसले का पूरा समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को इसकी समयसीमा बतानी होगी कि जातिगत जनगणना का काम कब तक पूरा होगा।’’
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमारा एक दृष्टिकोण है, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार किया, इसलिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। सरकार को तिथि बतानी चाहिए कि कब तक जातिगत जनगणना का काम पूरा हो जाएगा। इसके अलावा विकास का दृष्टिकोण भी हमारे सामने रखा जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना जातिगत जनगणना के लिए एक मॉडल बना है और यह एक ब्लूप्रिंट बन सकता है। हम जातिगत जनगणना को डिजाइन करने में सरकार की मदद करेंगे, क्योंकि ये डिजाइन बहुत जरूरी है।’’
राहुल गांधी का कहना था, ‘‘जातिगत जनगणना में बिहार और तेलंगाना का मॉडल है- इनके बीच में जमीन-आसमान का फर्क है। हम देश में जातिगत जनगणना के माध्यम से एक नए तरीके का विकास लाना चाहते हैं।’’
उनके अनुसार, ‘‘चाहे ओबीसी हों, दलित हों या आदिवासी, इनकी देश में कितनी भागीदारी है, यह सिर्फ जातिगत जनगणना से पता चलेगा, लेकिन हमें और आगे जाना है। हमें पता लगाना है कि देश की संस्थाओं और सत्ता की संरचना में इन लोगों की कितनी भागीदारी है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण तत्काल लागू किया जाना चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमने पूरे देश में जमीनी स्तर पर ‘जातिगत जनगणना’ के लिए अभियान चलाया, जिसका नतीजा सरकार का यह फैसला है। जातिगत जनगणना पहला कदम है, ये दरवाजा खोलने का तरीका है। उसके बाद विकास का काम शुरू होगा।’’
उनका कहना था कि तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण से यह जानकारी सामने आई कि कारपोरेट क्षेत्र के प्रबंधन या बड़े पदों पर दलित, ओबीसी और आदिवासी वर्ग के लोग नहीं मिलेंगे।
राहुल गांधी ने दावा किया कि ‘गिग वर्कर’ की सूची देखेंगे, तो इसमें दलित, ओबीसी और आदिवासी वर्ग के लोग मिलेंगे।
‘गिग वर्कर’ उन श्रमिकों को कहा जाता है जिनका काम अस्थायी होता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यानी देश में दो धाराएं हैं। एक में मजदूरी, गरीबी, बेरोजगारी है, जहां दलित, ओबीसी और आदिवासी वर्ग के लोग शामिल हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ अभिजात्य लोग हैं, जिनमें अंबानी-अदाणी हैं, जो पूरे तंत्र को नियंत्रित कर रहे हैं। ऐसे में, इस पूरी प्रक्रिया को बदलने का पहला कदम जातिगत जनगणना है।’’
भाषा हक
हक अविनाश
अविनाश
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