निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ एक और याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार
निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ एक और याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार
नई दिल्ली। तीन तलाक मामले में पिछले वर्ष फैसला देने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट मुसलिमों मे बतौर प्रथा होने वाले बहुविवाह और निकाह हलाला को चुनौती देन वाली एक और याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। अदालत ने कहा कि यह संविधान के तहत दिए गए मूल अधिकारों का उल्लंघन है।
सीजेआई दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली पीठ ने इस याचिका पर नोटिस जारी किया है। ये याचिका कोलकाता स्थित संगठन मुस्लिम वीमेन्स रजिस्टेंस कमेटी की अध्यक्ष नाजिया इलाही खान ने दायर की है। पीठ ने रिट याचिका को इस मुद्दे के लंबित अन्य मामलों से जोड़ दिया। संगठन के वकील अधिवक्ता वीके बीजू ने निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा को अवैध और असंवैधानिक घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
यह भी पढ़ें : कर्नाटक में किसानों के 2 लाख रुपए तक के कर्ज माफ, कुमारस्वामी ने पेश किया बजट
वकील बीजू ने अदालत में तर्क दिए कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पसर्नल लॉ (शरियत) एप्लीकेशन एक्ट की धारा 2 निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता और वैधता देने की बात कहता है, जो न सिर्फ महिला की मूलभूत गरिमा के विरूद्ध है बल्कि संविधान के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। याचिका में कहा गया है कि भारत का मुस्लिम पसर्नल लॉ निकाह हलाला और बहुविवाह की प्रथा की इजाजत देता है।
उन्होंने कहा कि यह सीधे तौर पर महिलाओं की स्थिति पुरूषों की तुलना में निम्नतर करता है और महिलाओं से संपत्ति के समान बर्ताव करता है। इससे पहले अदालत ने दो जुलाई को सुनवाई के दौरान कहा था कि वह बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा की वैधता की छानबीन करने के लिए 5 सदस्यीय एक संविधान पीठ गठित करने पर विचार करेगा।
वेब डेस्क, IBC24

Facebook



