सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-ये भी भगवान की रचना,जानिए क्यों है रोक
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-ये भी भगवान की रचना,जानिए क्यों है रोक
नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला स्थित अयप्पा मंदिर मेन्। 9 से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रवेश न करने देने वाले रोक पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि देश में देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है, ये सार्वजनिक संपत्ति है। सावर्जनिक संपत्ति में जिस तरह पुरुषों को प्रवेश की इजाजत है तो फिर महिला को भी प्रवेश की इजाजत मिलनी चाहिए। मंदिर खुलता है तो उसमें कोई भी जा सकता है।
कोर्ट ने साफ कहा कि महिलाएं भी भगवान की रचना है, तो फिर रोजगार और पूजा-प्रार्थना में भेदभाव क्यों बरता जाए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि सविंधान के अनुच्छेद 25 के तहत सभी नागरिक किसी धर्म की प्रैक्टिस या प्रसार करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसका मतलब ये है कि एक महिला के नाते आपका प्रार्थना करने का अधिकार किसी विधान के अधीन नहीं है। ये संवैधानिक अधिकार है।
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अदालत ने कहा कि जो जगह सार्वजनिक है वहां वो किसी शख्स को जाने से नहीं रोक सकते हैं। संविधान में पुरुषों और महिलाओं में बराबरी की बात लिखी गई है। इसलिए किसी को रोकना संविधान की भावना के विपरीत जाना होगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या हम 70 साल उम्र की महिलाओं को पूजा से रोक सकते हैं? उन्होंने कहा कि महिलाओं के मासिक धर्म का धार्मिक ममलों से क्या ताल्लुक है? वहीं, जस्टिस नरीमन ने कहा कि पाबंदी का ये नोटिफिकेशन मनमाना है जो 9 साल तक की बच्ची और 53 साल से ऊपर की महिला को तो प्रवेश से नहीं रोकता।.
बता दें कि 2015 में केरल सरकार ने महिलाओं के प्रवेश का विरोध किया था, लेकिन 2017 में उसने अपना रुख बदल दिया था। इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी।
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रोक के पीछे दिया जाता है ये तर्क
बता दें कि सबरीमाला मंदिर में 9 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। जिन महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति है, उन्हें भी अपने साथ आयु प्रमाणपत्र ले जाना होता है। चेकिंग के बाद ही उन्हें अंदर जाने की अनुमति दी जाती है।
मंदिर धार्मिक सद्भवा का प्रतीक है लेकिन यहां महिलाओं को जाने की अनुमति ने देने का कारण यह बताया जाता है कि भगवान अयप्पन ब्रह्मचारी थे। इसलिए मंदिर प्रांगण में केवल वे बच्चियां जिन्हें मासिक धर्म शुरू न हुआ हो और महिलाएं जो इससे निवृत्त हो चुकी हों, जा सकती हैं।
वेब डेस्क, IBC24

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