जीएम सरसों पर वचन-मुक्त करने संबंधी केंद्र की अर्जी पर शीर्ष अदालत में सुनवाई टली

जीएम सरसों पर वचन-मुक्त करने संबंधी केंद्र की अर्जी पर शीर्ष अदालत में सुनवाई टली

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  • Publish Date - August 29, 2023 / 08:32 PM IST,
    Updated On - August 29, 2023 / 08:32 PM IST

नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। साथ ही, इसने आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) सरसों की व्यावसायिक खेती पर जोर न देने संबंधी एक विधि अधिकारी का मौखिक ‘वचन’ (अंडरटेकिंग) वापस लेने संबंधी केंद्र की अर्जी पर सुनवाई 26 सितम्बर के लिए स्थगित कर दी।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केंद्र की उस अर्जी पर सुनवाई टाल दी, जिसमें कहा गया था कि या तो इसे नवंबर 2022 में दिये गये वचन से मुक्त कर दिया जाए या वैकल्पिक रूप से, सरकार को इस सीजन में कुछ स्थानों पर जीएम बीज बोने की अनुमति दी जाये।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी, ‘‘अगर अदालत हमें हमारे हलफनामे से मुक्त कर देती है, तो हम प्रारंभ में 10 प्रस्तावित स्थलों पर (जीएम) सरसों के बीज बोने और अनुसंधान की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इस मामले का फैसला करते समय इस अदालत को भी हमारी (शोध) रिपोर्ट का लाभ मिलेगा।’’

भाटी ने कहा, ‘‘वैकल्पिक रूप से सरकार को कम से कम आठ स्थानों पर (जीएम सरसों) बीज बोने और इस अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने की अनुमति दी जाये।’’ उन्होंने कहा कि सरकार एक और बुवाई का सीजन नहीं खोना चाहती।

हालांकि, अदालत ने उन्हें यह याद दिलाने की कोशिश की कि पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई करना कितना मुश्किल है।

पीठ ने याचिका पर सुनवाई 26 सितम्बर के लिए स्थगित करते हुए कहा, ‘‘एक साल यहां या वहां, कोई फर्क नहीं पड़ता। यह केवल एक सीज़न है। अगले साल एक और सीज़न होगा। हालांकि, पर्यावरणीय क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती। हमें अर्जी पर सुनवाई करनी होगी और उस पर विचार करना होगा।’’

विधि अधिकारी ने सुनवाई के प्रारंभ में न्यायालय के समक्ष उन परिस्थितियों का उल्लेख किया, जिनके तहत केंद्र की ओर से मौखिक वचन दिया गया था।

जब शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि वह कोई भी ‘त्वरित कार्रवाई’ न करे, क्योंकि मामले को नवंबर, 2022 में अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना है, तो विधि अधिकारी ने कहा था कि 10 में से आठ स्थानों पर बीज पहले ही बोये जा चुके हैं।

पीठ ने पूछा कि अगर केंद्र को अपने इस वचन से मुक्त कर दिया जाता है कि वह जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती के साथ आगे नहीं बढ़ेगा तो निर्णय के लिए क्या बच जाएगा।

पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, इन तीन हफ्तों में कुछ भी नहीं बदल जाएगा।

सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने केंद्र की दलीलों पर आपत्ति जताई और कहा कि जीएम सरसों के पर्यावरणीय उत्सर्जन से गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें प्रदूषित हो सकती हैं।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने मौखिक वचन से मुक्त करने संबंधी केंद्र की याचिका पर गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘जीन कैंपेन’ और अन्य से जवाब मांगा था।

केंद्र ने लंबित मामलों के सिलसिले में नयी अर्जी के माध्यम से ‘मौखिक वचन’ से मुक्त करने का अनुरोध किया है। एनजीओ की ओर से पेश वकील अपर्णा भट्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

शीर्ष अदालत ने व्यावसायिक खेती के लिए जीएम सरसों को मंजूरी देने के जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) के फैसले पर तीन नवंबर, 2022 को यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।

इसने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि इस मुद्दे पर उसके समक्ष दायर एक अर्जी पर सुनवाई होने तक ‘कोई त्वरित कार्रवाई’ न की जाये।

शीर्ष अदालत सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स और एनजीओ ‘जीन कैंपेन’ की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

भाषा सुरेश वैभव

वैभव