पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई के खिलाफ आरोपों से नाखुश शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका खारिज की
पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई के खिलाफ आरोपों से नाखुश शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका खारिज की
नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) एक याचिकाकर्ता की ओर से भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई पर लगाए गए आरोपों से अप्रसन्न उच्चतम न्यायालय ने उसकी याचिका मंगलवार को खारिज कर दी और सुरक्षा कर्मियों को उसे अदालत कक्ष से बाहर ले जाने का आदेश दिया।
अरुण रामचंद्र हुबलीकर ने शीर्ष अदालत में सेवा से अपनी “अवैध बर्खास्तगी” के खिलाफ याचिका दायर की और सेवा विवाद में अतीत में दाखिल अर्जी को खारिज करने के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई के खिलाफ आंतरिक जांच कराने का अनुरोध किया।
आरोपों से नाराज न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीष चंद्र शर्मा की पीठ ने सुरक्षा कर्मियों से हुबलीकर को अदालत कक्ष से बाहर ले जाने का आदेश दिया।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 30 सितंबर को पूर्व सीजेआई के खिलाफ जांच के अनुरोध वाली याचिका पर कड़ी आपत्ति जताई थी और याचिकाकर्ता से पक्षकारों की सूची से न्यायाधीश का नाम हटाने को कहा था।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता ने पूर्व सीजेआई का नाम लिया, तो पीठ नाराज हो गई। उसने कहा, “हम आप पर जुर्माना लगाने जा रहे हैं। किसी भी न्यायाधीश का नाम न लें। आपके मामले में कोई दम नहीं है।”
हालांकि, याचिकाकर्ता ने विरोध किया और कहा, “आप कैसे कह सकते हैं कि मेरे मामले में कोई दम नहीं है। यह कैसे कहा जा सकता है… यह मेरे खिलाफ अन्याय है। मरने से पहले कम से कम मुझे न्याय तो मिलना चाहिए।”
इस पर पीठ ने कहा कि वह याचिका को खारिज करती है, जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों को याचिकाकर्ता को अदालत कक्ष से बाहर ले जाने का निर्देश दिया गया।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के वास्ते याचिकाकर्ता के सामने पूर्व सीजेआई का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने की शर्त रखी थी।
पीठ ने कहा था, “आप एक न्यायाधीश को प्रतिवादी बनाते हुए कोई याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? थोड़ी गरिमा तो बनाए रखना चाहिए। आप यूं ही नहीं कह सकते कि मैं एक न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश थे।”
उसने कहा था, “न्यायमूर्ति गोगोई भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। आप यह नहीं कह सकते कि मैं किसी न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं, क्योंकि आप उसकी पीठ के सामने अपनी दलीलें मनवाने में सफल नहीं हुए। माफ करें, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।”
हुबलीकर के पूर्व सीजेआई का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने का आश्वासन दिए जाने के बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
न्यायमूर्ति गोगोई 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए थे।
भाषा पारुल माधव
माधव

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