नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) के आयोजन के लिए भारतीय विधिज्ञ परिषद द्वारा लिये जाने वाले 3,500 रुपये के शुल्क को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि बीसीआई को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च करना पड़ता है और यह शुल्क लेना संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले अधिवक्ता संयम गांधी की एक याचिका पर बीसीआई को नोटिस जारी किया था।
पीठ ने कहा कि गांधी को अदालत आने से पहले बीसीआई से संपर्क करने के लिए कहा गया था।
याचिका में एआईबीई के लिए बीसीआई के शुल्क ढांचे को चुनौती दी गई थी और दलील दी गयी थी कि बीसीआई ने सामान्य/अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों से अन्य आकस्मिक शुल्कों के अलावा 3,500 रुपये और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों से अन्य आकस्मिक शुल्कों के अलावा 2,500 रुपये लिये।
याचिका में भविष्य में ऐसी राशि वसूलने पर रोक लगाने और अखिल भारतीय बार परीक्षा-2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया के तहत पहले से ली गई राशि को वापस करने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वर्तमान शुल्क प्रणाली भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(जी) (व्यवसाय करने के अधिकार) के साथ-साथ अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 24(1)(एफ) का उल्लंघन करती है।
भाषा
संतोष सुरेश
सुरेश