डीएनडी फ्लाईवे को टोल फ्री करने के फैसले की समीक्षा याचिका न्यायालय ने खारिज की

डीएनडी फ्लाईवे को टोल फ्री करने के फैसले की समीक्षा याचिका न्यायालय ने खारिज की

डीएनडी फ्लाईवे को टोल फ्री करने के फैसले की समीक्षा याचिका न्यायालय ने खारिज की
Modified Date: May 9, 2025 / 04:31 pm IST
Published Date: May 9, 2025 4:31 pm IST

नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने उस फैसले की समीक्षा करने से इनकार कर दिया, जिसमें लाखों दैनिक यात्रियों को राहत देते हुए दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे को टोल फ्री रखने का आदेश दिया गया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने डीएनडी फ्लाईवे का संचालन करने वाली निजी कंपनी ‘नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड’ (एनटीबीसीएल) की याचिका पर 20 दिसंबर, 2024 के फैसले की समीक्षा संबंधी अनुरोध ठुकरा दिया।

कंपनी ने उस सीएजी रिपोर्ट का हवाला दिया जिस पर शीर्ष अदालत ने भरोसा किया था और कहा कि इस रिपोर्ट में कंपनी पर कुछ सकारात्मक टिप्पणियां थीं, जो आदेश में नहीं दिखाई देती हैं।

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पीठ ने कंपनी के वकील से कहा कि उसने (कंपनी ने) ‘‘बहुत सारा पैसा कमाया है।’’

शीर्ष अदालत ने, हालांकि, एनटीबीसीएल के वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप पुरी की एक अन्य याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि वह सीएजी के निष्कर्षों के आधार पर फैसले में उनके खिलाफ कथित तौर पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों को हटाने के लिए रिपोर्ट को फिर से देखेगी।

पुरी के वकील ने कहा कि सीएजी ने उनके खिलाफ कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है और इसलिए फैसले में पैराग्राफ को स्पष्ट किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 20 दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के डीएनडी फ्लाईवे को टोल-फ्री बनाने के फैसले को बरकरार रखा और नोएडा प्राधिकरण तथा उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता के दुरुपयोग और जनता के विश्वास के उल्लंघन ने इसकी अंतरात्मा को गहरी ठेस पहुंचायी है।

शीर्ष अदालत ने तब एनटीबीसीएल की अपील को उच्च न्यायालय के 2016 के फैसले के खिलाफ खारिज कर दिया था, जिसमें उसे यात्रियों से टोल वसूलना बंद करने के लिए कहा गया था।

इसने कहा, ‘‘एनटीबीसीएल ने परियोजना की लागत और पर्याप्त लाभ वसूल कर लिया है, जिससे उपयोगकर्ता शुल्क या टोल को लगातार लगाने या वसूलने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘एनटीबीसीएल पिछले 11 वर्षों से लाभ कमा रही है; 31 मार्च, 2016 तक इसका कोई संचित घाटा नहीं था; इसने अपने शेयरधारकों को 31 मार्च, 2016 तक 243.07 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है; तथा अपने सभी ऋणों को ब्याज सहित चुका दिया है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘इस प्रकार, एनटीबीसीएल ने 31 मार्च, 2016 तक परियोजना लागत, रखरखाव लागत तथा अपने प्रारंभिक निवेश पर उल्लेखनीय लाभ वसूल कर लिया था। उपयोगकर्ता शुल्क/टोल का संग्रह जारी रखने का कोई तुक या कारण नहीं है।’’

भाषा सुरेश नरेश

नरेश


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