उच्चतम न्यायालय ने मुकदमों में बड़ी संख्या में वकीलों के नाम जोड़े जाने पर जताई चिंता

उच्चतम न्यायालय ने मुकदमों में बड़ी संख्या में वकीलों के नाम जोड़े जाने पर जताई चिंता

उच्चतम न्यायालय ने मुकदमों में बड़ी संख्या में वकीलों के नाम जोड़े जाने पर जताई चिंता
Modified Date: January 23, 2025 / 08:56 pm IST
Published Date: January 23, 2025 8:56 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस बात पर चिंता जताई कि मुकदमों में बड़ी संख्या में वकील अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और उनके नाम कई पृष्ठों में होते हैं, जबकि आदेश केवल कुछ पन्नों का होता है।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि यदि कोई वकील अदालत की ‘‘प्रभावी तरीके से’’ सहायता कर रहा है तो इसे उपस्थिति जोड़ने में कोई समस्या नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘वकीलों के नाम 10 पृष्ठों में होते हैं और आदेश केवल कुछ पन्नों का। हम इस बारे में कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं कि आदेश में वकीलों के नाम कैसे शामिल किए जाएं। चूंकि आप बार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, इसलिए हम आपकी बात सुन रहे हैं।’’

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शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि, कई वकील मामले में बहस करने वाले वकील के साथ उपस्थित हुए, लेकिन जब उनसे कहा गया तो किसी ने बहस नहीं की।

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, ‘‘या फिर हमें स्पष्ट रूप से कहना पड़ेगा आपका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। वकील से जो भी जुड़ा है, उनके नाम शामिल किये जाएं। ऐसा नहीं किया जा सकता। जब हम देखेंगे कि वे प्रभावी रूप से आपकी सहायता कर रहे हैं, तो उनके नाम वहां होंगे। हम आदेश पारित करेंगे।’’

सिब्बल ने कहा कि एससीबीए और ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन’ इस मुद्दे को विनियमित करने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘आप सही हैं, 30-40 नाम नहीं दिए जा सकते। लेकिन कुछ उचित, निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जो वास्तविक लोग यहां हैं और उनके नाम जोड़े जाने चाहिए।’’

शीर्ष अदालत, बार संघों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें एक विशेष मामले में उपस्थित और पेश होने वाले सभी वकीलों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की अनुमति देने के लिए एक समान दिशानिर्देशों के संबंध में उनके प्रशासन को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

पिछले साल 20 सितंबर को पारित एक आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ केवल उन वकीलों की उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं, जिन्हें अदालत में उपस्थित होने और सुनवाई के दिन बहस करने के लिए अधिकृत किया गया है।

आदेश में कहा गया था कि शीर्ष अदालत द्वारा 30 दिसंबर 2022 को जारी नोटिस के अनुसार, केवल ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ ही वेबसाइट पर दिये गए लिंक या उच्चतम न्यायालय के कार्यालय मोबाइल ऐप के माध्यम से अदालत में उपस्थित होने वाले वकीलों की उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं।

अदालत ने कहा कि नोटिस में कहीं भी अधिवक्ताओं को उन वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति नहीं दी गई है जो अदालत में उपस्थित होने या मामले पर बहस करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।

शीर्ष अदालत का यह निर्देश उस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देते हुए आया, जिसमें एक याचिकाकर्ता ने अपील दायर करने से इनकार कर दिया और दावा किया कि उसने अदालत में मौजूद किसी भी वकील को अपनी ओर से मामला दायर करने के लिए कभी नियुक्त नहीं किया था।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश


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