आपराधिक मामले में प्रोफेसर को उच्चतम न्यायालय से राहत, मणिपुर उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा
आपराधिक मामले में प्रोफेसर को उच्चतम न्यायालय से राहत, मणिपुर उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा
नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कथित नफरती भाषण के लिए मणिपुर में दर्ज आपराधिक मामले में एक प्रोफेसर को गिरफ्तारी से दिया गया संरक्षण शुक्रवार को तीन सप्ताह के लिए और बढ़ा दिया तथा प्राथमिकी निरस्त करने सहित विभिन्न राहतों के लिए वहां के उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।
प्रधान न्याधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आरोपी प्रोफेसर हेनमिनलुन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर की उन दलीलों का संज्ञान लिया कि कोई भी वकील मणिपुर में उनके मुवक्किल का मुकदमा लड़ने को तैयार नहीं है।
पीठ ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण से संबद्ध एक अधिवक्ता मुकदमा लड़ने के लिए याचिकाकर्ता को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने 12 सितंबर को प्रोफेसर को सुनवाई की अगली तारीख तक के लिए गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी।
प्रोफेसर ने 28 जुलाई को दिए गए कथित नफरत भरे भाषण को लेकर आईपीसी की धारा 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत अपराध के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने को चुनौती दी है।
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों का संज्ञान लिया और कहा, “हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय के समक्ष आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 (प्राथमिकी रद्द करना) के तहत राहत प्राप्त करना होगा।’’
पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अपना प्रतिनिधित्व चाहता है तो उच्च न्यायालय इसकी छूट देगा।
मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय में कई सौ वकील पेश होते रहे हैं और प्रोफेसर उनमें से एक से संपर्क कर सकते थे।
भाषा सुरेश रंजन
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