Supreme Court on UCC : समान नागरिक संहिता पर रुख स्पष्ट करे केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया 3 हफ्ते का समय

पीठ ने कहा, “ये याचिकाएं शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और मेंटिनेंस कानूनों की मांग कर रही हैं। इन बातों में क्या अंतर है? ये सभी समान नागरिक संहिता के पहलू हैं।“ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

Supreme Court on UCC : समान नागरिक संहिता पर रुख स्पष्ट करे केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया 3 हफ्ते का समय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:45 pm IST
Published Date: September 6, 2022 4:25 pm IST

supreme court decision on uniform civil code: नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की व्यवहार्यता पर 3 सप्ताह के भीतर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की एक पीठ शादी की उम्र, तलाक के आधार, उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए कानूनों में एकरूपता की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, “ये याचिकाएं शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और मेंटिनेंस कानूनों की मांग कर रही हैं। इन बातों में क्या अंतर है? ये सभी समान नागरिक संहिता के पहलू हैं।“ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

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बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने की मांग

अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय और एक अन्य याचिकाकर्ता लुबना कुरैशी द्वारा दायर याचिकाओं के एक समूह ने विभिन्न धर्मों के लिए प्रचलित तलाक, विवाह, उत्तराधिकार, गोद लेने और मेंटिनेंस पर विभिन्न कानूनों में कमियों की तरफ इशारा किया है। उपाध्याय ने अपनी याचिका में एकरूपता लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि व्यभिचार के लिए हिंदुओं, ईसाइयों और पारसियों के लिए एक आधार है, लेकिन मुसलमानों के लिए नहीं। इसी तरह कुष्ठ बीमारी हिंदुओं और मुसलमानों के लिए तलाक का आधार है, लेकिन ईसाइयों और पारसियों के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि कम उम्र में शादी हिंदुओं के लिए तलाक का आधार है, लेकिन ईसाइयों, पारसियों और मुसलमानों के लिए नहीं है।

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उपाध्याय की याचिका में यह भी कहा गया है कि सभी धर्मों की महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रथाएं जो उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करती हैं, उनकी रक्षा नहीं की जानी चाहिए। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह अनिवार्य रूप से कानून का सवाल होगा। अगर जरूरत पड़ी, तो हम तीन सप्ताह में जवाब देंगे।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध

याचिकाओं का विरोध करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और एक मुस्लिम महिला अमीना शेरवानी ने शीर्ष अदालत में इन याचिकाओं का विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दरवाजे से यूसीसी लाने का प्रयास किया जा रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि उपाध्याय ने 2015 में शीर्ष अदालत में दायर एक रिट याचिका में इसी तरह की मांग की थी जिसे उन्होंने बाद में वापस ले लिया था।

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उपाध्याय ने पीठ से कहा, “मैं यूसीसी की मांग नहीं कर रहा हूं। इन याचिकाओं में मैंने देश में मौजूद विसंगतियों को दिखाने का प्रयास किया है जो विभिन्न धर्मों की महिलाओं पर विवाह, तलाक, गोद लेने, रखरखाव और उत्तराधिकार पर अलग-अलग कानून लागू करती हैं। यह अनुच्छेद 14 (समानता), 15 (भेदभाव के खिलाफ अधिकार) और 21 (जीवन और स्वतंत्रता) के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।’’ इस पर पीठ ने कहा ​​कि वैवाहिक मुद्दे भी यूसीसी के पहलुओं में से एक हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com