उच्चतम न्यायालय ने एनसीआर में सुपरटेक बिल्डर परियोजनाओं की सीबीआई जांच के आदेश दिए |

उच्चतम न्यायालय ने एनसीआर में सुपरटेक बिल्डर परियोजनाओं की सीबीआई जांच के आदेश दिए

उच्चतम न्यायालय ने एनसीआर में सुपरटेक बिल्डर परियोजनाओं की सीबीआई जांच के आदेश दिए

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Modified Date: April 29, 2025 / 04:08 PM IST
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Published Date: April 29, 2025 4:08 pm IST

नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बैंकों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच ‘नापाक’ गठजोड़ का उल्लेख करते हुए मंगलवार को सीबीआई को निर्देश दिया कि वह एनसीआर में रियल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की परियोजनाओं की प्रारंभिक जांच दर्ज करे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दाखिल हलफनामे का संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश, हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के लिए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी), निरीक्षक, कांस्टेबल की सूची एजेंसी को देने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)/प्रशासकों, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया कि वे एसआईटी को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए एक सप्ताह के भीतर अपने वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक नोडल अधिकारी को नामित करें।

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व में कहा था कि हजारों आवास खरीदार सब्सिडी योजना से प्रभावित हुए हैं, जहां बैंकों ने निर्धारित समय के भीतर परियोजनाएं पूरी किए बिना बिल्डरों को आवास ऋण राशि का 60 से 70 प्रतिशत भुगतान कर दिया।

शीर्ष अदालत ने तब सीबीआई को मामले की तह तक जाने के लिए एक खाका प्रस्तुत करने का आदेश दिया था कि वह किस तरह ‘‘बिल्डर-बैंकों के गठजोड़’’ को बेनकाब करने की योजना बना रहा है, जिसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हजारों आवास खरीदारों को धोखा दिया।

शीर्ष अदालत कई आवास खरीदारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे। उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा नहीं होने के बावजूद बैंकों की ओर से उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

भाषा आशीष मनीषा

मनीषा

 

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