नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर सुनील गावस्कर के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए कई वेबसाइट और ऑनलाइन मंचों पर उनकी सहमति के बिना व्यावसायिक लाभ के लिए उनके नाम या छवियों का अवैध रूप से उपयोग करने पर रोक लगाई।
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोरा ने कई आरोपियों को कृत्रिम मेधा और डीपफेक तकनीक के माध्यम से गावस्कर के व्यक्तित्व का उपयोग करने से भी रोका और इंटरनेट पर अपलोड की गई कुछ अश्लील सामग्री को हटाने का आदेश दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि आपत्तिजनक सामग्री को यूआरएल वेबसाइटों द्वारा 72 घंटों के भीतर हटा दिया जाना चाहिए और ऐसा करने में विफल रहने पर संबंधित सोशल मीडिया ‘इंटरमिडिएरीज’ को सामग्री हटा देनी चाहिए।
सोशल मीडिया ‘इंटरमिडिएरीज’ (एसएमआई) फेसबुक, एक्स और इंस्टाग्राम जैसे मंच हैं जो उपयोगकर्ता के ऑनलाइन संपर्क को सक्षम बनाते हैं।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की।
उच्च न्यायालय ने 12 दिसंबर को सोशल मीडिया ‘इंटरमिडिएरीज’ को गावस्कर की उस याचिका पर सात दिनों के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तित्व अधिकारों के संरक्षण की मांग की थी।
मंगलवार को अदालत को सूचित किया गया कि कुछ सामग्री हटा दी गई है, जबकि अन्य अब भी इंटरनेट पर मौजूद हैं।
गावस्कर ने सोशल मीडिया मंच और ई-कॉमर्स वेबसाइट द्वारा उनके नाम, छवियों, व्यक्तित्व आदि के अनधिकृत उपयोग को रोकने और अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
भाषा शोभना मनीषा
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