करूर भगदड़ की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत का फैसला 13 अक्टूबर को

करूर भगदड़ की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत का फैसला 13 अक्टूबर को

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  • Publish Date - October 11, 2025 / 09:09 PM IST,
    Updated On - October 11, 2025 / 09:09 PM IST

नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय तमिलनाडु के करूर में अभिनेता-नेता विजय की रैली में मची भगदड़ की घटना की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर 13 अक्टूबर को फैसला सुनाएगा।

भगदड़ की इस घटना में 41 लोगों की मौत हो गई थी।

न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ इन याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी।

पीठ ने शुक्रवार को इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए भगदड़ की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर सवाल उठाया था।

न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा था, “हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह आदेश कैसे पारित किया गया? जब मदुरै की खंडपीठ इस मामले पर विचार कर रही थी, तो चेन्नई पीठ की एकल पीठ ने इस पर सुनवाई कैसे की?”

उन्होंने कहा था, “न्यायाधीश के रूप में मेरे 15 वर्षों के अनुभव में (मैंने देखा है कि) अगर किसी खंडपीठ ने (मामले पर) संज्ञान ले लिया है, तो एकल पीठ उससे (सुनवाई से) पीछे हट जाती है।”

विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका केवल राजनीतिक रैलियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के लिए दायर की गई थी।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले ही दिन एसआईटी का गठन कर दिया था और अदालत ने उनका पक्ष सुने बिना ही पार्टी और विजय के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी कर दी।

टीवीके की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ को अधिकृत कर सकते हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है।

दोनों वकीलों ने शीर्ष अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी कि विजय और टीवीके सदस्यों ने भगदड़ स्थल छोड़ दिया तथा घटना पर कोई खेद व्यक्त नहीं किया, गलत है।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने अभिनेता को यह कहकर वहां से जाने के लिए मजबूर किया कि ऐसा न करने पर स्थिति और बिगड़ जाएगी।

वहीं, तमिलनाडु सरकार ने दलील दी कि एसआईटी का गठन खुद उच्च न्यायालय ने किया था और राज्य सरकार ने कोई नाम नहीं दिया था। उसने कहा कि जांच समिति में शामिल अधिकारी अपनी ईमानदारी और स्वतंत्रता के लिए जाने जाते हैं।

इससे पहले, शीर्ष अदालत की प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने भाजपा नेता उमा आनंदन की उस याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी, जिसमें करूर में 27 सितंबर को मची भगदड़ की घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने से इनकार करने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

तमिलनाडु के भाजपा नेता जीएस मणि ने भी भगदड़ की घटना की सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की है।

टीवीके ने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में घटना की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध किया है। पार्टी ने दलील दी है कि अगर घटना की जांच केवल तमिलनाडु पुलिस के अधिकारी ही करेंगे, तो इसके निष्पक्ष और पारदर्शी होने की संभावना नहीं है।

याचिका में उच्च न्यायालय के आदेश के तहत केवल तमिलनाडु पुलिस के अधिकारियों को शामिल कर एसआईटी गठित करने पर आपत्ति जताई गई है। इसमें कुछ बदमाशों द्वारा पूर्व नियोजित साजिश की आशंका जताई गई है, जिसके कारण भगदड़ मची।

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप