समलैंगिकता पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से विवाह की पवित्र व्यवस्था की रक्षा हुई् जमीयत
समलैंगिकता पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से विवाह की पवित्र व्यवस्था की रक्षा हुई् जमीयत
नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने समलैंगिक विवाहों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस निर्णय से विवाह की पवित्र व्यवस्था की रक्षा हुई है।
उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया।
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई की।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।
जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत एक प्राचीन सभ्यता और संस्कृति वाला देश है, जो विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसे पश्चिमी दुनिया के स्वतंत्र विचारों वाले अभिजात्य वर्ग की मनमानी से कुचला नहीं जा सकता।’’
उनका कहना है, ‘‘न्यायालय ने इस फैसले से विवाह की पवित्र और शुद्ध व्यवस्था की रक्षा की है जैसा कि हमारे देश में सदियों से समझा और उसे आत्मसात किया जा रहा है। हम व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और अपने सांस्कृतिक मूल्यों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने में अदालत के परिपक्व फैसले की सराहना करते हैं।’’
भाषा हक
हक रंजन
रंजन

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